मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर : अंबेडकर जयंती पर भाकपा-माले व ऐपवा कार्यकर्ताओं ने दलितों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले के खिलाफ राज्य स्तरीय विरोध दिवस के तहत शहर में विरोध मार्च निकाला। मार्च हरिसभा चौक स्थित माले कार्यालय से निकला। मार्च के पहले पार्टी कार्यालय में अंबेदकर जयंती के अवसर पर बाबा साहेब अंबेडकर जयंती की तस्वीर पर कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित करने साथ संकल्प श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया।
इस दौरान लोकतंत्र, संविधान और मौलिक अधिकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ शहर से गांव तक संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया। सभा व मार्च के दौरान औरंगाबाद के रफीगंज में 6 दलित लड़कियों के जहर खाने और चार की मौत मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने , रफीगंज थाना प्रभारी को निलंबित करने ,दलित टोलों में आतंक के माहौल को खत्म करने , सामंती जुल्म-दमन और दलित महिलाओं के खिलाफ हिंसा बंद करने की मांग सरकार से की गई। रामनवमी के अवसर पर पारू प्रखंड के एक मस्जिद पर हिन्दू संगठनों द्वारा भगवा झंडा फहराने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाले दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग पर भी जोर दिया गया।
श्रद्धांजलि सभा व मार्च में माले जिला सचिव कृष्णमोहन, ऐपवा जिला अध्यक्ष शारदा देवी, कुसुमी देवी, किसान नेता जितेंद्र यादव, मजदूर नेता शत्रुघ्न सहनी, नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष व इंसाफ मंच के नेता आफताब आलम, रेयाज खान, रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक, इनौस के जिला अध्यक्ष विवेक कुमार, मो. ऐजाज आइसा के जिला सचिव दीपक कुमार, विकास रंजन, मयंक कुमार, अजय कुमार संस्कृतिकर्मी विनय कुमार वर्मा , माले नगर कमिटी सदस्य सुरेश ठाकुर, धनंजय कुमार सहित बड़ी संख्या में महिलाएं व छात्र-नौजवान शामिल थे।
मार्च व सभा को संबोधित करते हुए माले व ऐपवा नेताओं ने कहा कि ने कहा कि औरंगाबाद में 6 दलित लड़कियों का जहर खाना संदेहास्पद है। भाजपा-जदयू के राज में दलित-महादलित की बेटियां सुरक्षित नहीं है। सामंती गुंडों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। पुलिस-प्रशासन दबंगों व दंगाइयों को बचाने व संरक्षण देने में जुटा हुआ है। उन्होंने ने कहा कि आजादी के 75वें साल के दौरान हमारा देश भयावह दौर से गुजर रहा है।
मोदी-भाजपा राज में लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकारों पर चौतरफा हमला जारी है। सत्ता के संरक्षण में सांप्रदायिक फासीवादी ताकतें खुलेआम अल्पसंख्यक व दलित समुदाय व लोकतांत्रिक ताकतों पर हमला करने में जुटी है। जनता महंगाई और बेरोजगारी की मार के साथ उन्माद-उत्पाद की राजनीति से त्रस्त है। देश को बचाने के लिए अंबेदकर और भगत सिंह के बताये रास्ते पर चलना होगा। सांप्रदायिक फासीवादी-कॉरपोरेट हमलों के खिलाफ आजादी की दूसरी लड़ाई तेज करना होगा।