नदियों की जैव विविधता में संतुलन बनाए रखने की है जरूरत
Muzaffarpur/Beforeprint : बुढ़ी गंडक नदी के महम्मदपुर कोठी के गोखुल घाट आज पर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत रिवर रचिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस विभागीय समारोह का उद्घाटन हेतु डीन मात्स्यकी महाविद्यालय, ढोली विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिए। इस कार्यक्रम में मो० राशिद फारूकी, (उप मत्स्य निदेशक, सांख्यिकी, पटना) उदय प्रकाश (उप मत्स्य निदेशक, तिरहुत परिक्षेत्र, मुजफ्फरपुर), डॉ० नूतन ( जिला मत्स्य पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर) एवं अन्य विभागीय पदाधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहें। समारोह में जिले के स्थानीय जन प्रतिनिधि, मत्स्य जीवी सहयोग समिति के मंत्री, अध्यक्ष एवं सदस्य उपस्थित रहे। डॉ० नूतन जिला मत्स्य पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया तथा सरकार के द्वारा विकासोन्मुखी कार्यक्रम की चर्चा की गई। मात्स्यकी महाविद्यालय, ढोली को रिवर रैचिंग कार्यक्रम हेतु नोडल नामित किया गया है।
मो० राशिद फारूकी (उप मत्स्य निदेशक, सांख्यिकी) पटना के द्वारा बताया गया कि कालान्तर में नदियों के प्राकृतिक स्वरूप पर मानव गतिविधियों, अविवेकीय मत्स्य दोहन बढ़ते पर्यावरण प्रदुषण, सतत् मत्स्य संसाधनों का उपयोग एवं संरक्षण नहीं होने के फलस्वरूप नदियों के जैव-विविधता में संतुलन एवं संरक्षण के साथ-साथ नदियों के मत्स्य उत्पादतकता में बढ़ोत्तरी मछुआरों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान तथा मत्स्य शिकारमाही पर आश्रित मछुआरों के बार्षिक आय में अभिवृद्धि लाना है। उनके द्वारा कहा गया कि हमने अल्पकालीन लाभ, आवश्यकता या लोभ वर्ष, प्राकृतिक जल संपदा का अनावश्यक दुरूपयोग करते हुए दोहन किया है। जिसे पूर्णस्थापन करने हेतु रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है, इससे नदी कि स्वच्छता, मत्स्य उत्पादन में बढ़ोत्तरी एवं मछुआरों की आजीविका बेहतर हो सकेगा। साथ ही जिसके दुरगामी सकरात्मक परिणाम होगे।
डॉ० नूतन, जिला मत्स्य पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर के द्वारा बताया गया कि मत्स्यिकी महाविद्यालय, ढोली द्वारा उत्पादित उन्नत गुणवक्तायुक्त मत्स्य बीज को आज महम्मदपुर कोठी के गोखुल घाट पर बुढ़ी गंडक नदी में पुर्नस्थापना किया जा रहा है, जिससे की जैव-विवधता में संतुलन एवं संरक्षण के साथ नदियों के मत्स्य उत्पादकता में बढ़ोतरी, मछुआरों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान तथा मत्स्य शिकारमाही पर आश्रित मछुआरों के बार्षिक आय में वृद्धि हो सके। नदियों में स्थानीय मछलियों के प्रजातियों का सफलतापूर्वक पूर्नस्थापना तभी संभव है, जब इससे संबंधित मत्स्यकी के नियमों को लागू किया जायेगा। इसके तहत नदियों में अविवेकीय मत्स्य दोहन नहीं करना, छोटे आकार के मत्स्य बीज को संरक्षण प्रदान करना तथा 4 से०मी० से कम फासाजाल (गिलनेट) का प्रयोग नहीं करना आदि शामिल है।
इसके लिए राज्य सरकार के स्तर से वृहत रूप से जागरूकता अभियान एवं प्रचार प्रसार किया जा रहा है। राज्य के नदियों में 15 जून से 15 अगस्त तक की अवधि में मत्स्य शिकारमाही पर प्रतिषेध है। केन्द्र एवं राज्य सरकार के द्वारा इन प्रतिषेध अवधि में मछुआरों के वित्तीय राहत पहुँचाने के उद्देश्य से राहत -सह- बचत योजना लाई जा रही है। अन्त में उप मत्स्य निदेशक, तिरहुत परिक्षेत्र, मुजफ्फरपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया तथा नदी से प्राप्त किये गये प्रजनक मछिलयों के प्रेरित प्रजनन से विकसित मत्स्य अंगुलिकाओं को मुजपफरपुर जिला में बुढ़ी गंडक नदी के तटवर्ती महम्मदपुर कोठी के गोखुल घाट पर पुर्नस्थापन किया गया।