बुद्ध का सही महापरिनिर्वाण स्थल निर्धारण हेतु शोध की आवश्यकता- चंद्रभूषण सिंह चंद्र

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/Befoteprint. भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल को लेकर शोधकर्ता व पुरातत्विद एक मत नही रहे हैं। कसिया कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण स्थल को लेकर डॉ.हीरानंद शास्त्री, वीए स्मिथ समेत कई ख्याति प्राप्त पुरातत्वविद सवाल उठा चुके हैं। ऐसे में महापरिनिर्वाण स्थल को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसपर नए सिरे से शोध व पुरातात्विक खुदाई की जरूरत है। बुद्ध पूर्णिमा पर कांटी के साहित्य भवन में आयोजित संगोष्ठी में ‘बुद्ध महापरिनिर्वाण स्थल कसिया नही मुजफ्फरपुर का कुसी’ पुस्तक के लेखक चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने यह बातें कही।

महात्मा बुद्ध महापरिनिर्वाण समिति के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि प्रख्यात लेखक चुटकुलानंद उर्फ परमानंद शास्त्री,कुसी के शोधकर्ता सूर्यदेव ठाकुर, प्रफुल्ल सिंह मौन,विंध्येश्वर शर्मा हिमांशु, सच्चिदानंद चौधरी समेत अन्य शोधकर्ता अपने शोधपत्र में कांटी के कुसी को वैशाली से दूरी व दिशा के आधार पर महापरिनिर्वाण स्थल होने को लेकर दावा कर चुके हैं। वैशाली से चलने के बाद कुसीनगर के बीच के तमाम गांव जैसे, भंडग्राम वर्तमान भटौना,हस्तिग्राम वर्तमान हरचंदा,भोग नगर वर्तमान भोजा विशुनपुर जिनका जिक्र महापरिनिर्वाण सुत में वर्णित हैं,

वे आज भी वैशाली से कुसी के बीच अवस्थित हैं। संगोष्ठी के पूर्व कुसी महापरिनिर्वाण मार्ग में भगवान बुद्ध की चौथी प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम के संयोजक पिनाकी झा ने कहा कि कुसी भिंड समेत प्रमुख चौराहों पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

हर्षवर्धन ठाकुर ने कहा कि अहिंसा व शांति को लेकर बुद्ध पूरे विश्व के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। इस दौरान भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर लोगों ने माल्यार्पण किया। बुद्धम शरणम गच्छामि का पाठ भी हुआ। कुसी हरपुर होरिल स्थित ऐतिहासिक बुद्ध पोखर के शीघ्र जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की मांग भी ग्रामीणों ने उठाई। मौके पर स्वराजलाल ठाकुर,चंद्रकिशोर चौबे,रमेश तिवारी,सुजीत ठाकुर,सच्चिदानंद ठाकुर,सुधीर कुमार भी थे।