सामाजिक बुराइयों का यथार्थ चित्रण कर निराला ने जनता को नवजागरण का संदेश दिया : चंद्रभूषण सिंह चंद्र

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/Brahmanand Thakur: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला युगान्तकारी कवि थे। मुक्तछंद के प्रवर्तक निराला ने काव्य को नवीनता प्रदान की। वे छायावादी, रहस्यवादी होने के साथ प्रगतिवादी व पूंजीवाद के विरोधी भी हैं। सामाजिक बुराईयों का यथार्थ चित्रण करके उन्होंने भारतीय जनता को नवजागरण का संदेश दिया। छायावाद के चार प्रमुख स्तंभ में शामिल निराला ने अपनी कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है व यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। साहित्य भवन कांटी में मंगलवार को आयोजित निराला जयंती समारोह में नूतन साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने उक्त बातें कही।

महाप्राण निराला के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए चंद्र ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी निराला की लेखनी साहित्य की हरेक विद्या पर चली। कविता के साथ उपन्यास, निबंध, रेखाचित्र, आलोचना व संस्मरण समेत अन्य विधाओं में भी रचनाएं की। वर दे वीणा वादिनी..संसार में नवीनता प्रदान करने की प्रार्थना की गई है। वह तोड़ती पत्थर मजदूर वर्ग की दयनीय दशा का मार्मिक चित्रण है। बांधो न नाव इस ठांव बंधु.. में नायक की भावनाओं को उकेरा गया है। दीन दुखियों की दुर्दशा, गरीबों का शोषण, अछूतों का उत्पीड़न देखकर निराला का हृदय सिहर उठता था। उनके साहित्य में एक स्वस्थ समाज बनाने की प्रेरणा मिलती है।

स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि निराला ने हिंदी काव्य को नई दिशा प्रदान की। जीवन के संघर्ष से जूझते हुए भी वे साहित्य सृजन में लगे रहे। उन्होंने प्रकृति के विविध रूपों को अपने साहित्य में चित्रित किया है। चंद्रकिशोर चौबे ने कहा कि निराला छायावादी कवियों में सबसे अधिक विद्रोही, सर्वाधिक उदात्त, जनजीवन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील तथा जागरूक कवि रहे। राकेश कुमार राय ने कहा कि राम की शक्ति पूजा’ कविता कथात्मक ढंग शुरू होती है।

इसमें घटना का विन्यास इस ढंग से किया गया है कि बहुत नाटकीय हो गई है । इस कविता का वर्णन इतना सजीव लगता है कि आंखों के सामने कोई त्रासदी प्रस्तुत की जा रही हो। राम की शक्ति पूजा में राम रावण का युद्ध प्रमुख विषय नहीं है, इसका  प्रमुख विषय सीता की मुक्ति है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने निराला की तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया। साहित्यकारों ने उनकी प्रमुख कविताओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम में विद्याभूषण झा, रोहित रंजन, दिलजीत गुप्ता, प्रकाश कुमार, सुभाष कुमार भी थे।