निर्मल वर्मा की रचनाएं भारतीय एवं पश्चिमी संस्कृति के अंतर्द्वंद्व की अद्भुत मिशाल है- चंद्रभूषण सिंह चंद्र

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/BrahmanandThakur आधुनिकता-बोध और भारतीय एवं पश्चिमी संस्कृति के अंतर्द्वंद्व की बेजोड़ मिशाल है निर्मल वर्मा के उपन्यास और कहानियां। उनकी कहानियां अभिव्यक्ति व शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ समझी जाती है। साहित्य से सम्बंधित शायद ही कोई भारतीय पुरस्कार होगा, जो निर्मल वर्मा को न मिला हो। ये बातें नूतन साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने कहीं।

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वे आज साहित्भय भवन कांटी में आयोजित साहित्यकार निर्मल वर्मा की जयंती समारोह में बोल रहे थे। नूतन साहित्यकार परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हिन्दी के महान साहित्यकारों में अज्ञेय व निर्मल वर्मा जैसे कुछ ही साहित्यकार ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर भारतीय व पश्चिम की संस्कृतियों के अंतर्द्वन्द्व पर गहनता व व्यापकता से विचार किया है।

रात का रिपोर्टर , एक चिथड़ा सुख ,लालकांटी। हिन्दी कहानी में आधुनिक-बोध लाने वाले कहानीकारों में निर्मल वर्मा का अग्रणी स्थान है। उनकी कहानियां अभिव्यक्ति व शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ समझी जाती है। साहित्य से सम्बंधित शायद ही कोई भारतीय पुरस्कार होगा, जो निर्मल वर्मा को न मिला हो। साहित्य भवन कांटी में सोमवार को आयोजित जयंती समारोह में अध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने यह बातें कही।

नूतन साहित्यकार परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हिन्दी के महान साहित्यकारों में से अज्ञेय व निर्मल वर्मा जैसे कुछ ही साहित्यकार ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर भारतीय व पश्चिम की संस्कृतियों के अंतर्द्वन्द्व पर गहनता व व्यापकता से विचार किया है। रात का रिपोर्टर , एक चिथड़ा सुख ,लाल टीन की छत और वे दिन निर्मल वर्मा के चर्चित उपन्यास हैं। स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि रोजमर्रा की घटनाओं, मानवीय आदतों, कमियों-खूबियों को निर्मल वर्मा ने उतने ही सहज रूप में लिखा है जितना बाकी की दुनिया ने उसे कठिन बना रखा है।

कार्यक्रम में प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी को भी याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चंद्रकिशोर चौबे ने कहा कि मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुकरी था। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। उन्होंने पारिवारिक जीवन,नारी-जीवन व विभिन्न वर्गो के जीवन की विसंगतियों को विशेष आत्मीय अभिव्यक्ति प्रदान की है।

कार्यक्रम में नंदकिशोर ठाकुर,मनोज मिश्र,रोहित रंजन, दिलजीत गुप्ता,वसंत शांडिल्य,रजनीश कुमार,महेश साह आदि उपस्थित थे। टीन की छत और वे दिन निर्मल वर्मा के चर्चित उपन्यास हैं। स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि रोजमर्रा की घटनाओं, मानवीय आदतों, कमियों-खूबियों को निर्मल वर्मा ने उतने ही सहज रूप में लिखा है जितना बाकी की दुनिया ने उसे कठिन बना रखा है।

कार्यक्रम में प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी को भी याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चंद्रकिशोर चौबे ने कहा कि मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुकरी था। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। उन्होंने पारिवारिक जीवन,नारी-जीवन व विभिन्न वर्गो के जीवन की विसंगतियों को विशेष आत्मीय अभिव्यक्ति प्रदान की है। कार्यक्रम में नंदकिशोर ठाकुर,मनोज मिश्र,रोहित रंजन, दिलजीत गुप्ता,वसंत शांडिल्य,रजनीश कुमार,महेश साह आदि उपस्थित थे।