Muzaffarpur/Brahmanand Thakur : चर्चित कवि कवि ,गीतकार डॉ संजय पंकज को उनकी साहित्य साधना के लिए आनंद आश्रम, दिल्ली तथा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना के संयुक्त तत्वावधान में ‘पंडित विशुद्धानंद स्मृति सम्मान’ से हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन, पटना में पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। अंगवस्त्र, पुष्पमाला, पुस्तक,सम्मान पत्र, पुरस्कार राशि तथा स्मृति चिह्न भेंट कर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने सम्मानित किया और कहा कि डॉ संजय पंकज की अकुंठ साहित्य साधना को मूल्यांकित करते हुए यह विशिष्ट सम्मान और अलंकरण देकर हमें परितोष और गौरव की अनुभूति हो रही है।
विदित हो कि डॉ संजय पंकज ने राष्ट्रीय स्तर पर गीत विधा को गौरवान्वित किया है। दर्जनाधिक पुस्तकों के रचयिता डॉ पंकज की ” यवनिका उठने तक, मंजर मंजर आग लगी है, मां है शब्दातीत, शब्द नहीं मां चेतना, यहां तो सब बंजारे, सोच सकते हो, शब्दों के फूल खिले, समय बोलता है, मौसम लेता अंगड़ाई, बजे शून्य में अनहद बाजा ” विशिष्ट और महत्वपूर्ण कृतियां हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट दिल्ली के ट्रस्टी डॉ पंकज को उनके लेखन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान से बार बार सम्मानित किया गया है।
साहित्यिक, सांस्कृतिक विषयों के साथ ही समसामयिक विषयों पर भी संजय पंकज राष्ट्रीय स्तर के पत्र पत्रिकाओं और अखबारों में निरंतर लिखते रहते हैं। डॉ संजय पंकज को बधाई देते हुए डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ शारदाचरण, डॉ रवींद्र उपाध्याय, चितरंजन सिन्हा कनक, मधुमंगल ठाकुर, डॉ देवव्रत अकेला, डॉ विजय शंकर मिश्र, कुमार राहुल, डॉ वंदना विजयलक्ष्मी, नर्मदेश्वर चौधरी, एच एल गुप्ता, डॉ अनु, ब्रजभूषण शर्मा, अविनाश तिरंगा,
मुकेश त्रिपाठी, प्रेमभूषण, प्रमोद आजाद आदि ने कहा कि मुजफ्फरपुर की साहित्यिक चेतना का संजय पंकज पूरे देश में प्रतिनिधित्व करते हैं। गीत धारा के अत्यंत महत्वपूर्ण कवि पंडित विशुद्धानंद की स्मृति में दिया जाने वाला यह विशिष्ट सम्मान इस वर्ष संजय पंकज को दिया जाना मुजफ्फरपुर के लिए गौरवान्वित करने वाला है।