Muzaffarpur/Brahmanand Thakur : कवि प्रदीप के गीत नस नस में राष्ट्र भक्ति और देश प्रेम का जज्बा पैदा करता है व आम आवाम को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। ए मेरे वतन के लोगों..। चल चल रे नौजवान..। आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की..,समेत उनकी देशभक्ति की रचनाओं ने उन्हें अमरत्व प्रदान किया हैं। उन्होंने देशभक्ति व ईशभक्ति के 17 सौ से अधिक गीत लिखे।
ये बातें साहित्य भवन कांटी में रविवार को आयोजित कवि प्रदीप की पुण्यतिथि समारोह में चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने कहीं। आपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि कवि प्रदीप ने अपनी कविताओं के जरिए देशवासियों के दिलों में देशभक्ति व साहस का भाव जगाने का काम किया। उनके लिखे इंसान का इंसान से हो भाईचारा.. जैसे गीतों में सामाजिक न्याय की आवाज मुखर होती है। इसमें आपसी सहयोग व भाईचारे का आह्वान है।
चंद्रकिशोर चौबे ने कहा कि प्रदीप की रचनाएं युगों तक देशप्रेम व समाज के प्रति समर्पण का संदेश देती रहेगी। प्रदीप के भजन मर्मस्पर्शी व सद्भावपूर्ण है। इस दौरान उन्होंने कारगिल युद्ध पर आधारित कविता पाठ कर सैनिकों के बलिदान को श्रद्धांजलि दी। सेवानिवृत शिक्षक स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में अपने देशभक्ति के गीतों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने 1700 सौ से अधिक रचनाएं लिखीं। कार्यक्रम में विद्याभूषण झा, पिनाकी झा, नंदकिशोर ठाकुर समेत अन्य लोगों ने भी कवि प्रदीप की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।