79 वें पुण्य तिथि के मौके पर याद किए गए बिहार विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष रामदयालु बाबू उनका सम्पूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और बलिदान का प्रतीक था

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/Brahmanand Thakur : महान स्वतंत्रता सेनानी व बिहार विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष स्वर्गीय रामदयालु प्रसाद सिंह के 79 वें पुण्यतिथि के अवसर पर आज भूमिहार ब्राह्मण समाजिक फ्रंट के द्वारा समारोह आयोजित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। स्थानीय बीबीगंज स्थित पूर्व मंत्री अजीत कुमार के आवासीय परिसर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता फ्रंट के महामंत्री रणधीर कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभ आरंभ फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष अजीत कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर उपस्थित सैकड़ों लोगों ने स्वर्गीय राम दयालु बाबू के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पूर्व मंत्री एवं फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष अजीत कुमार ने कहा कि रामदयालु बाबू का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या व बलिदान के लिए जाना जाता है।

वे बड़े राष्ट्रभक्त थे। अंग्रेजों के द्वारा कठोर यातना दिए जाने के बावजूद वे कभी विचलित नहीं हुए। रामदयालु बाबू 1920 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शरीक हुए तथा स्वतंत्रता आंदोलन के सजग नेता के रूप में इनकी बड़ी पहचान बनी। राष्ट्र के प्रति उनके कट्टरता को देखकर 1922 में गया में हो रहे कांग्रेस का अधिवेशन की पूरी जिम्मेवारी राजेंद्र बाबू ने इन्हीं को दिया था। रामदयालु बाबू का शिक्षा की ओर काफी झुकाव था। 1924 में पहली बार मुजफ्फरपुर के कॉलेजिएट स्कूल में एक बहुत बड़ी सभा हुई थी, जिसमें इनके अपील पर “विद्या कोष” के लिए पर्याप्त धन का संग्रह हुआ था। समाज के गरीब छात्रों के सुविधा के लिए लंगट सिंह कॉलेज परिसर में इनके द्वारा एक छात्रावास का निर्माण कराया गया था , जिसका नाम राम ज्योति छात्रावास रखा गया था। आज उसी छात्रावास में रामवृक्ष बेनीपुरी कॉलेज संचालित है।

श्री कुमार ने कहा कि रामदयालु बाबू त्याग, ईमानदारी व सच्ची मित्रता के आदर्श मिसाल थे। स्वतंत्रता के पूर्व राज्य में बनने वाली सरकार के प्रधानमंत्री (वर्तमान में मुख्यमंत्री) के रुप में वे अपने को पीछे कर श्री बाबू के नाम को आगे बढ़ा कर त्याग का अनुकरणीय मिसाल पेश किया था । उन्होंने कहा कि रामदयालु बाबू की कर्तव्य निष्ठा , सहजता व शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय रामदयालू बाबू 1937 में बिहार विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए थे, तब से लेकर मृत्यु पर्यंत 1944 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल में विधानसभा का सर्वोच्च मापदंडों का पालन हुआ था।

लेकिन आज इनकी घोर उपेक्षा हो रही है। उन्होंने नौजवानों से रामदयालु बाबू के जीवन दर्शन को अपने आप में समाहित करने का आह्वान किया। श्री कुमार ने कहा की आजादी के बाद से आज तक किसी भी सरकार के द्वारा इनके प्रति सम्मान नहीं दिखाया गया है । तभी तो इनके पुण्यतिथि व जयंती पर सरकारी स्तर पर कोई आयोजन अभी तक नहीं किया गया है । ऐसे में भूमिहार ब्राह्मण समाजिक फ्रंट राज्य सरकार से मांग करती है कि स्वर्गीय रामदयालु बाबू के पुण्यतिथि व जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाए , साथ ही उनका आदम कद प्रतिमा विधानसभा के मुख्य द्वार पर लगे एवं बिहार विधानसभा के एनेक्सी का नामकरण रामदयालु बाबू के नाम पर हो।

इस अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में फ्रंट के कोषाध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह, युवा के अध्यक्ष शांतनु सत्यम तिवारी, सरोज कुमार चौधरी , प्रांशु , श्री कृष्णा, मुखिया प्रसून कुमार, मंकु पाठक, दिनेश प्रसाद सिंह, अरविंद कुमार सिंह, पैक्स अध्यक्ष रंजीत कुमार चौधरी, निखिल कुमार, मनीष बसंत, अजय कुमार, सुशांत कुमार , राज कुमार, गोपाल कुमार, संतोष कुमार , बमबम कुमार, फौजी नीडू कुमार सिंह, राकेश कुमार सिंह , राहुल कुमार, मोहम्मद शमीम , उपेंद्र कुमार साह, रवी कुमार, संजय साह, नरेश साह, अवधेश यादव आदि प्रमुख थे।