आधुनिक तकनीक से मत्स्य पालन हेतु रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का हुआ आयोजन

मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/बिफोरप्रिंट। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा बुधवार को बंदरा प्रखंड अंतर्गत बूढ़ी गंडक नदी के रतवारा घाट पर रिवर रैचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।.इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिला मतस्य पदाधिकारी डॉ नूतन के द्वारा किया गया।. मौके पर उन्होंने कहा कि रिवर रैचिंग कार्यक्रम के क्रियान्वयन से नदियों के मत्स्य उत्पादन में अभिवृद्धि होगी एवं मछुआरों का आर्थिक, सामाजिक उत्थान भी होगा। साथ ही नदियों में स्थानीय मछलियों के प्रजातियों का जैव-विविधता में संतुलन एवं संरक्षण भी हो सकेगा। इस रिवर रैचनिंग कार्यक्रम के द्वारा जहां मत्स्य उत्पादन में बढ़ोतरी होगी वही मछुआरों की आजीविका भी पहले से और बेहतर हो सकेगा.

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बाबा फिशरीज सह हैचरी के डायरेक्टर शिवराज सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत बूढ़ी गंडक,गंडक और बागमती नदी से प्रजनक मछली का संग्रहण कर हैचरी के अलग-अलग तालाबों में आधुनिक तकनीक से प्रजनन कराया जायेगा।. संचयन किया जायेगा. उत्पन्न स्पॉन को अलग-अलग नर्सरी तालाबों में एक महीने तक संचयन करने के बाद देखरेख करने के बाद अंगुलाकाओं के साइज में हो जाने पर पुनः बूढ़ी गंडक में पुनर्स्थापना किया जायेगा।

मत्स्य विकास पदाधिकारी राखी रंजन एवं राजीव कुमार ने बताया कि रिवर रैचिंग कार्यक्रम के क्रियान्वयन से मछुआरों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान तथा मत्स्य शिकारमाही पर आश्रित मछुआरों के वार्षिक आय में वृद्धि हो सकेगी.।नदियों में मछलियों का सफलतापूर्वक पूर्णस्थापना तभी संभव है जब नदियों में अविवेकीय मत्स्य दोहन नहीं होगा ,छोटे आकार के मत्स्य बीज को संरक्षण प्रदान किया जायेगा तथा चार सेंटीमीटर से कम फसाजाल(गिलनेट) का प्रयोग नहीं किया जायेगा।

मत्स्य प्रसार पदाधिकारी पल्लवी कुमारी एवं रुचि मेहता ने कहा कि 15 जून से 15 अगस्त तक का समय मछली के ब्रीडिंग करने का होता है.इसलिए इस अवधि में राज्य सरकार द्वारा नदियों मेंमत्स्य शिकारमाही पर प्रतिबंध है.।इसके लिए राज्य सरकार के स्तर से वृहत रूप से जागरूकता अभियान एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।