मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। आज सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा संवादशाला के अंतर्गत मालीघाट में पुरखा पुरनिया संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस संवाद में वक्ताओं ने प्रख्यात समाजसेवी गांधीवादी नेता डाक्टर एस एन सुब्बा राव के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय संबोधन में लोक कलाकार सुनील कुमार ने कहा कि संस्कृति,आचार – विचार और इतिहास का सही बोध कराने एवं बच्चों तथा युवाओं के बीच आत्मिक विकास के लिए “पुरखा पुरनिया संवाद कार्यक्रम” मुजफ्फरपुर के विभिन्न स्थलों पर चलाया जा रहा हैं। उन्होने सुब्बा राव के सम्बंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर एसएन सुब्बाराव महात्मा गाँधी से प्रेरणा लेकर अपना सम्पूर्ण जीवन सोशल वर्कर के रूप में ही गुजार दिया। उनके जीवन में समाजसेवी के रूप में सबसे बड़ा कार्य 654 डकैतों को सामूहिक समर्पण करवाने का था।
मुख्य अतिथि मुकेश झा ने कहा कि डॉक्टर एसएन सुब्बाराव को भाई जी के नाम से भी जाना जाता था। डॉक्टर एसएन सुब्बाराव देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिये। डॉ सुब्बाराव बचपन से ही क्रांतिकारी विचारधारा के थे। उनके क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत मात्र 13 साल की उम्र से ही हो गई थी। महात्मा गांधी से प्रभावित डॉ सुब्बाराव ने अपना सारा जीवन समाज सेवा में ही बिता दिया था।
महात्मा गांधी के मरने के बाद उन्हीं के पद चिन्हों पर वे आजीवन चलते रहे और उनके अधूरे कामों को पूरा करने में अपनी जिंदगी गुजार दी। डॉक्टर सुब्बा राव ने जोरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी। लोक गायिका अनिता कुमारी ने कहा कि डॉक्टर सुबाराव राष्ट्रीय सेवा योजना के सदस्य भी रहे। उन्होंने नेशनल यूथ प्रोजेक्ट की स्थापना की थी। 14 अप्रैल 1972 को इनको भारत के राष्ट्रपति द्वारा पदमश्री अवार्ड दिया गया था। इस अवसर पर सुमन कुमारी,कांता देवी , अनील कुमार ठाकुर,भोला शाह,अमन, साहिल, सौरभ,विशाल,रोहन,सचिन, ऋषभ पंथ, सुधांशु, ओम प्रकाश, अनुराग, अभिषेक, करण, संजीत, शामिल हुए।
“पुरखा- पुरनिया” संवाद सह सम्मान कार्यक्रम में युवा समाजसेवी संस्कृतिकर्मी मुकेश झा एवं दिलीप कुमार को अंगवस्त्र,डॉक्टर एसएन सुब्बाराव तस्वीर व पुस्तक प्रदान कर “पुरखा- पुरनिया” सम्मान से सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन सरला श्रीवास युवा मंडल के संरक्षक अजय कुमार ठाकुर ने किया और कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों महानायको की यादों को जश्न के माध्यम से पुनर्स्मरण किया जा रहा हैं।
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