Muzaffarpur/Beforeprint: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य अजय कुमार सिंह ने आज प्रेसबयान जारी कर कहा है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यूजीसी द्वारा विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में शाखाएं खोलने की अनुमति देने के हाल ही में घोषित मसौदा मानदंड का कड़ा विरोध करती है। इसपर सुझाव देने के लिए आवंटित समय पूरी तरह से अपर्याप्त है। यह नीति भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को नुकसान, कमजोर और नष्ट कर देगी और इसे व्यावसायीकरण की ओर ले जाएगी।
इस फैसले से शिक्षा महंगी होगी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और गरीबों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय शिक्षा मंत्री द्वारा संसद में दिए गए बयान की पृष्ठभूमि में सरकार के अमीर-समर्थक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है कि भारतीयों को इस विचार पर निर्भर रहना बंद कर देना चाहिए कि विश्वविद्यालयों को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाना चाहिए।
तथ्य यह है कि सरकार शिक्षा पर अपने बजट का तीन प्रतिशत से भी कम खर्च कर रही है जबकि और अधिक आवंटन की आवश्यकता है। इस निर्णय से आरक्षण की नीति और सामाजिक न्याय के सिद्धांत को भी भारी नुकसान होगा। राज्यों पर इस तरह की नीति लागू करने के लिए बाध्य करना संघीय विरोधी और राज्य सरकारों की शक्तियों का अतिक्रमण है।
सीपीआई मांग करती है कि ऐसे विश्वविद्यालयों के लिए नियामक ढांचे को संसद में पेश किया जाना चाहिए और संसद में चर्चा की जानी चाहिए ताकि जल्दबाजी में और एकतरफा निर्णय न लिया जा सके जो हमारे छात्रों और देश के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। भाकपा ने सभी छात्रों और शिक्षक संगठनों से आह्वान किया