भारतीय कृषि में जीएम बीजों का प्रयोग कृषि और किसानों के लिए हानिकारक होगा : एआईकेकेएमएस

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/Beforeprint : आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान एवं महासचिव शंकर घोष ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जीएम बीजों को भारतीय कृषि एवं किसानों के हित में नुकसान दायक बताया है।प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसी जानकारी मिली है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दे दी है और पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार को मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेज दिया है।

हमें लगता है कि यह एक खतरनाक कदम है, जो किसानों व आम लोगों के हित के नजरिये से भी हानिकारक है। भारतीय कृषि में जीएम बीजों को शामिल करने के परिणामस्वरूप, पूरी कृषि देश-विदेश के कृषि-दिग्गजों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में चली जाएगी। हम उसके खतरनाक परिणामों को आसानी से महसूस कर सकते हैं।

इसके अलावा, प्रकृति और मानव स्वास्थ्य पर जीएम बीजों की उपज के प्रभाव का अभी तक ठीक से आंकलन नहीं किया जा सका है। वैज्ञानिक समुदाय अभी तक इस मुद्दे पर एकमत नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे प्रकृति और मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए, इस पहलू पर विचार करते हुए भी हमारा दृढ़ मत है कि भारतीय कृषि में जीएम बीजों को शामिल नहीं करना चाहिए।

इसका पक्षधर समूह कृषि उपज का उत्पादन बढ़ाने का तर्क दे रहा है। लेकिन यह तर्क निराधार है, क्योंकि भारत में भूख की समस्या उत्पादन की कमी के कारण नहीं, बल्कि एकाधिकार समर्थक सरकारों की जनविरोधी नीतियों के कारण है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां और उनकी गुर्गा केंद्रीय भाजपा सरकार इसे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। फिर भी, वे इसे लागू कर रहे हैं। हमारे देश के लोगों के सामने इसके खिलाफ पूरे जोशखरोश और साहस के साथ लड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। इसलिए, हम अपने देश के किसानों और मेहनतकश लोगों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और केंद्र में भाजपा की उनकी गुर्गा सरकार के इस जघन्य कदम का विरोध करने के लिए आगे आने का आग्रह करते हैं।