मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। शहर मे आज पटना पुलिस ने छापेमारी की। सॉल्वर गैंग मामले को लेकर पटना पुलिस मुजफ्फरपुर पहुंची थी। पुलिस ,अपने साथ लगभग 300 से अधिक कंप्यूटर जप्त कर ले गई है। पटना के बहुचर्चित सॉल्वर गिरोह मामले में जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर पटना पुलिस जैसे-जैसे जांच को आगे बढ़ा रही है, वैसे-वैसे हैरतअंगेज खुलासे हो रहे हैं। अभी तक इस गैंग के सरगना अतुल वत्स की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है जबकि उसके राइट हैंड माने जाने वाले अश्विनी सौरव नामक लड़के एवं उनके तीन अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गिरोह का मास्टरमाइंड अभी तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है पर इस घटना को अंजाम देने वाले और पूरे सिंडिकेट को संगठित रूप से चलाने वाले अश्विनी सौरव की गिरफ्तारी हो चुकी है। अश्विनी ने ऑनलाइन परीक्षा पास कराने के लिए मुजफ्फरपुर में एक, पटना में तीन और गया में दो कंप्यूटर सेंटर का पता चला है जहां ऑनलाइन परीक्षा आयोजित होती थी। जप्त कंप्यूटर की जांच के बाद बिहार में हाल ही में नौकरी पाए हजारों युवाओं के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। पुलिस को आशंका है कि इस संगठित गिरोह द्वारा हजारों युवकों की फर्जी बहाली कराई गई है। परीक्षार्थियों के बदले किसी दूसरे ने परीक्षा दी थी।
यह गिरोह इतना सशक्त था कि सरकार के तमाम टेक्नोलॉजी की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर देता था, परीक्षा केंद्रों पर लगे जैमर को कैसे पास आउट करना है और परीक्षार्थी के कंप्यूटर को किस तरह दूसरे कंप्यूटर से कनेक्ट करना है, यह सारी व्यवस्था उसने खुद के बनाए गए ऑनलाइन परीक्षा सेंटर पर कर रखे थे। एनी डेस्क नामक ऐप परीक्षार्थियों के कंप्यूटर को सॉल्वर के कंप्यूटर से कनेक्ट करता था वही सेंटर पर लगाये गए जैमर को एक विशेष पद्धति से बाईपास कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था को भेद दिया जाता था।
पुलिस के अनुमान के अनुसार इस गिरोह ने शिक्षक पात्रता परीक्षा, रेलवे परीक्षा ,एसएससी एग्जाम सहित अन्य कई परीक्षाएं जिनमें ऑनलाइन एग्जाम लिया जाता है, उसके परीक्षार्थियों को पास कराने के नाम पर करोड़ों रुपए का बारा नारा किया था। और उसके फॉर्म भरने से लेकर उसे पास कराने तक की जिम्मेवारी अपने ऊपर ली। एक संगठित गिरोह के तौर पर इस गैंग ने अब तक हजारों छात्रों को विभिन्न परीक्षाओं में पास कराया है जिनके योग्यता उस पद के लायक नहीं थी।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार कुल डील का 40% रकम वो एडवांस के तौर पर लेते थे बाकी पैसे की गारंटी के लिए परीक्षार्थियों का मूल प्रमाण पत्र सॉल्वर गैंग अपने पास गिरवी रख लेता था परीक्षार्थी जब परीक्षा पास कर जाते थे तो सॉल्वर गैंग बाकी का रकम लेकर परीक्षार्थियों को उनके मूल दस्तावेज वापस कर दिया करते थे। फिलहाल जैसे-जैसे जांच का दायरा आगे बढ़ेगा वैसे उसे इसमें बहुत सारे राज के खुलने की संभावना बढ़ती जा रही है।
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