मुजफ्फरपुर : तीन दिवसीय किसान मेला शुरू

बिहार मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद केद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा ( समस्तीपुर ) मे आज से तीन दिवसीय किसान मेला का  आयोजन किया गया है। पूर्वी क्षेत्रीय कृषि मेला में  इसबार का थीम  है ‘कृषि अपशिष्टों के मुद्रीकरण द्वारा उद्यमिता विकास। इसे सुखेत मोडेल भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस तकनीक की प्रशंसि कर चूके हैं। विश्वविद्यालय सुखेत मोडेल को गांव के किसानो तक पहुचाने का निरंतर प्रयास कर रहा है।

कृषि मेले का उद्घाटन करते हूए डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद केद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाक्टर आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि कृषि अपशिष्ट के मुद्रीकरण द्वारा उद्यमिता विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखा जा सकता है। इससे रोजगार के भी अवसर मिलेंगे। विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डाक्टर एम के सिंह ने विभिन्न फसल अवशिष्टों उपयोगी उत्पाद तैयार करने की चर्चा करते हुए कहा कि लीची के बीज को यूंही फेंक दिया जाता है।

इस बीज से मछलियों का आहार तैयार कर अच्छी कमाई किसान कर सकते हैं। हल्दी के पत्ते से तेल निकालशने की बाबत उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय इस दिशा मे काम शुरू किया गया है। केले के तने से रेशा कालकर उससे थैला, चप्पल आदि जरूरी सामान तैयार किया जा सकता है। हाजीपुर मे केले के तने से रेशा निकाल कर इससे विभिन्न बाइप्रोडक्ट बनाने का काम हो रहा है। किसान मेला के एक स्टाल पर केले के रेशे से निर्मित सामग्रियों को देखने के लिए लोगों की भीड लगी रही।

हालिकि यह बिक्री के लिए उपलब्ध नहुं था किंतु इच्छुक लोगों से आर्डर लिए जा रहे थे। उन्हे बताया जा रहा था कि  सामान उनके घर कूरियर से भेज दिया जाएगा। इसी तरह आरहर के डंठल से बना सजावटी सामान मेले का आकर्षण बना रहा। मेले में किसानो को जानकारी दी गई कि गरीब स्थान मंदिर ,मुजफ्फरपुर ,बाबा बैद्यनाथ धाम ,देवघर और अरेराज के शिव मंदिरों मे रोज चढाए जाने वाले बेलपत्र और फूल को वहां से मंगा कर जैविक खाद बनाया जा रहा है। उसकी बिक्री किसानो को की जा रही है।

इसीतरह केले के तना का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट भनाने मे किया जा सकता है। वर्मी कम्पोस्ट  ऊंची गुणवत्ता का जैविक उर्वरक है। विभिन्न कृषि अपशिष्टों को किसान जानकारी के अभाव मे खेतों मे जला देते है। इससे पर्यावरण को नुकसान के साथ साथ आर्थिक क्षति भी होती है। विश्वविद्यालय कृषि अपशिष्ट प्रबंधन की जानकारी किसानो को देकर उनकी आमदनी मे वृद्धि को लेकर लगातार प्रयत्नशील है। यही कारण है कि इस बार के किसान मेला की थीम ‘कृषि अपशिष्टों के मुद्रीकरण द्वारा उद्यमिता विकास’ रखा गया है।

निदेशक प्रसार शिक्षा डाक्टर मधुसूदन कुण्डू ने अपने सम्बोधन मे कहा कि इसबार किसान मेला में कुल 178 स्टाल लगाए गये हैं जिसमे 123  स्टाल पश्चिम बंगाल ,उडीसा और झाडखंड के विभिन्न संगठनो ने लगाया है। इस  अवसर पर लुधियाना से आए मक्का वैज्ञानिक डाक्टर सुजय रक्षित ,पंजाब नेशनल बैंक के एजीएम  एम एन झा सहित अन्य वैज्ञानिकों ने अपने विचार व्यक्त किए।

मेले में फल ,सब्जी ,फूल ,उद्यानिक फसलें ,मत्स्य पालन  मुर्गी पालन ,डेयरी , विभिन्न खाद्यान्नो के नवीनतम प्रभेदों मधुमक्खी पालन मशरूम उत्पादन आदि से सम्बंधित स्टाल लगाए गये हैं जहां किसान  जरूरी जानकारी प्राप्त करते देखे गये। अररिया से आए एक युवा किसान ने मेले में मशरूम वैज्ञानिक डाक्टर दयाराम से मशरूम उत्पादन मे रोजगार के अलसर के बारे में जानकारी लेते देखे गये।  उद्घघाटन सत्र का संचालन  डाक्टर मीनाक्षी द्विवेदी ने किया।

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