DESK : बिहार सरकार ने अतिपिछड़ा आयोग का गठन कर लिया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीएम नीतीश ने यह कदम उठाया। अतिपिछड़ा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के नामों की घोषणा कर दी गयी है। अतिपिछड़ा आयोग का अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार आर्या को बनाया गया है। डॉ. नवीन कुमार आर्या को 3 साल के लिए नियुक्त किया गया है। जबकि तारकेश्वर ठाकुर, ज्ञान चंद पटेल, विनोद भगत और अरविंद कुमार को आयोग का सदस्य बनाया गया है। बात यदि नवीन आर्य की करें तो वो जनता दल यूनाइटेड के महासचिव हैं और अब अतिपिछड़ा आयोग के अध्यक्ष भी हो गये हैं। वहीं आयोग के सदस्य अरविंद निषाद जदयू के प्रवक्ता भी हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर रखा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है, जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये. यानि सरकार ये पता लगाये कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला माने बगैर चुनाव कराने में लगी थी, जिस पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया था.
अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने की कवायद शुरू की है. नीतीश सरकार ने रातो रात बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक यही आयोग सूबे में उन जातियों का पता लगायेगी जिन्हें पर्याप्त राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली है. राज्य सरकार इसी आयोग का हवाला देकर हाईकोर्ट में गयी है. उसने हाईकोर्ट को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट कराने की प्रक्रिया में लग गयी है.
हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपना पक्ष रखा. आयोग ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों का पालन कर बिहार में दिसंबर से पहले चुनाव करा सकती है. कोर्ट में राज्य सरकार ने ये भरोसा दिलाया है कि अति पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें तय कर बताएंगे.
बता दें कि राज्य सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था. शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने का भरोसा दिलाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर सरकार को प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी. वहीं अति पिछडा आयोग जिन जातियों को आरक्षण देने की अनुशंसा करेगी, उन्हें आरक्षण देकर चुनाव कराया जायेगा.राज्य सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था. शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने का भरोसा दिलाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर सरकार को प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी.