— स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का भी होगा आयोजन
— नवजात के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम्
— स्वास्थ्य विभाग ने जारी किये निर्देश
Biharsharif/Avinash pandey: बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम् मानी जाती है। इसके अलावा नवजात मृत्यु दर एवं कुपोषण पर लगाम लगाने में भी स्तनपान अहम् भूमिका निभाता है। स्तनपान को बढ़ावा देने एवं लाभार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जिला सहित राज्य के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान के लिए अतिरिक्त वार्ड स्थापित करने की योजना बनायी है। यह वार्ड कंगारू मदर केयर वार्ड के अतिरिक्त होगा। राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से इस संबंध में व्यापक निर्देश जारी किये गए हैं। विदित हो कि कुछ स्वास्थ्य संस्थानों में पहले से ही स्तनपान कक्ष संचालित हैं।
स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का होगा आयोजन
स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर हर महीने की किसी एक चयनित तिथि को स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्देशित है कि स्तनपान वार्ड ओपीडी के करीब स्थापित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त सभी जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर स्तनपान जागरूकता के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जायेगा। प्रचार प्रसार के कार्य में आशा, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ली जाएगी। साथ ही अधिक से अधिक माताओं को नवजात के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में माँ की सहायता करने तथा गर्भवती एवं धात्री माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्त्व के बारे में जागरूक किया जायेगा।
स्तनपान है नवजात के लिए संजीवनी
माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान किसी भी नवजात के लिए उसका पहला टीका होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाएं स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं की अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहती हैं। साथ ही स्तनपान एक मां के लिए अपने नवजात से शारीरिक एवं आत्मिक जुड़ाव की नीव साबित होता है।
स्तनपान के फ़ायदे
• रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
• शिशु मृत्यु दर में कमी
• डायरिया एवं निमोनिया सहित कई संक्रामक रोगों से बचाव
• सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास
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