बिहारशरीफ/ अविनाश पांडेय: शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है। जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है। संस्कार जीवन का सार है। जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है।
जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा तभी वह परिवार समाज और देश के विकास की ओर अग्रसर होगा। उक्त बातें शहर के प्रसिद्ध विद्यालय ब्रिलियंट कान्वेंट स्कूल के चेयरमैन डॉ शशि भूषण कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा अगर स्तम्भ है तो नींव संस्कार है। बुधवार को ग्रीष्मकालीन अवकाश के पूर्व कार्य दिवस पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों के बीच क्विज प्रतियोगिता बच्चों का पहनावा, अनुशासन व बातचीत करने का तरीका आदि पर बच्चों के कार्यकुशलता को देखते हुए पारितोषिक वितरण किया गया। इस बार बच्चों को ग्रीष्मावकाश में पढ़ाई के अलावा बच्चों का सामाजिक व्यवहारिक और राष्ट्रवाद कैसे पैदा हो उसके अनुसार इस बार होमवर्क दिया गया।
अभिभावक अपने बच्चों के साथ दो बार भोजन अवश्य करें
बच्चों के साथ कम से कम 2 बार भोजन जरूर करें। बच्चों को खुद उनका खाया हुआ प्लेट धोने दें। जिससे उनकी अपनी मेहनत के बारे में पता चले। बच्चों को यह भी बताएं कि भोजन को बर्बाद ना करें। किसान के मेहनत के बारे में जानकारी दें। जो हमारे लिए खाद्यान्न का उत्पादन के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। दादा- दादी नाना- नानी परिवार तथा आसपास में जाएं। अपनी मन की बातों को शेयर करें। कहानी सुने और सुनाएं। पौधे लगायें। पानी से सीखे तथा छत के ऊपर पक्षियों के लिए दाना तथा पानी की व्यवस्था रखकर बच्चों को बतलाए। पुरानी यादें फोटोग्राफ तथा धार्मिक और पूरा ऐतिहासिक कहानियों से बच्चों को रूबरू कराएं। बच्चों को शारीरिक फिटनेस तथा खेलने कूदने पर भी स्वतंत्रता दें।
बच्चों के फिटनेस एवं मनोरंजन का भी रखें ध्यान
बच्चों को समयानुसार टीवी देखने दें। जो शिक्षाप्रद तथा मनोरंजक कार्यक्रम हो तो खुद भी साथ में बैठ कर देखें। मोबाइल से परहेज ही रखें। और ज्यादा जरूरी होने पर अपने सामने ही मोबाइल को चलाने दें। घर में रखी हुई हमारी अपनी संस्कृति तथा धार्मिक भावनात्मक स्वरूप के विशेष पर जानकारी जरूर दें। रामायण कुरान शरीफ तथा बाइबल जैसे धर्म ग्रंथ के बारे में बताएं। बच्चों को तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज रखने का कोशिश करें। मौसमी फल और सब्जी का आनंद लेने के लिए प्रेरित करें। इससे बच्चों के कोमल चेतन मन में अपने परिवार तथा समाज और उनसे जुड़े हुए चीजों के विषय पर अहमियत की जानकारी मिलेगा।
उपरोक्त जो होमवर्क दिया गया है पेरेंट्स थोड़ा ध्यान देंगे तो बच्चों में संस्कार भी आ जाएगा। जो हमारे विद्यालय का उद्देश्य है। पढ़ने के लिए आओ और सेवा के लिए जाओ इस प्रकार सटीक उतरेंगे। विद्यालय के निदेशक डॉक्टर धनंजय कुमार ने बताया कि हमारे आज के नौनिहाल समाज में अच्छी शिक्षा तथा अच्छी संस्कार बहुत ही जरूरी है। जो समाज को सही दिशा में लाने के लिए काफी जरूरी होता है । विद्यालय के चेयरमैन डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि बच्चों को ग्रीष्मावकाश में अपने घरों पर रहकर होमवर्क जरूर बनाएंगे।
चेयरमैन सर ने बच्चों को क्लास वाइज GK क्विज का प्रश्न पूछेें तथा बच्चों के सटीक उत्तर पर किसी को पेन पेंसिल और चॉकलेट देकर उनके जिज्ञासा को और प्रोत्साहित करें। प्रोग्राम खत्म होने के बाद जो बच्चे जवाब नहीं दे पाए उन्हें भी बच्चों के साथ एक एक पेन तथा हर जूनियर बच्चों को एक एक पेंसिल दिया गया। अंत में सर ने यही कहा कि बच्चे तथा उनके अभिभावक विद्यालय को एक मंदिर समझें ।
मंच का संचालन विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक रंजय सिंह के द्वारा संपादन किया गया। सारे वर्क शिक्षक तथा अन्य शिक्षक ने भी इस पारितोषिक वितरण समारोह ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया। पवन कुमार, किशोर कुमार पांडेय, नीतीश कुमार पाठक, विजय कुमार ,सुदीप कुमार गांगुली,स्नेहा मैम ,सोनम मैम, अंकिता मैम, सबा मैम, अस्मिता मैम,रिंकू मैम, सृष्टि मैम, नाजिया मैम, राजकुमार सिंह आदि ने भाग लिया।
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