नालंदा महिला कॉलेज में छात्राओं को खिलाई गयी फ़ाइलेरिया की दवा

नालंदा

–जागरूक कर 400 छात्राओं को खिलाई गयी दवा
— 30 अगस्त से चलाया जा रहा मॉप अप राउंड

Biharsharif/Avinash pandey: एमडीए अभियान के अंतर्गत लोगों को गृह भ्रमण कर एवं तीन दिनों तक बूथ संचालित कर फ़ाइलेरिया की दवा खिलाई गयी है। अब 30 अगस्त से जिले में मॉप अप राउंड चलाया जा रहा है। इसके तहत गुरुवार को नालंदा महिला कॉलेज में छात्राओं को फ़ाइलेरिया की दवा खिलाई गयी।

कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति, एनएसएस एवं पीसीआई इंडिया की टीम द्वारा छात्राओं को जागरूक किया गया और इसमें कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. जीतेन्द्र रजक भी शामिल रहे। डॉ. रजक ने सभी उपस्थित छात्राओं को दवा खाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा फ़ाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार इसकी दवा का सेवन करना सबसे सरल तरीका है।

छात्राओं के साथ कॉलेज के शिक्षक एवं अन्य कर्मियों ने भी दवा का सेवन किया। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की डॉ. आसिया परवीन ने कहा कि सभी के सहयोग एवं दवा सेवन से जिला को फ़ाइलेरिया के दंश से मुक्त किया जा सकता है।

उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को दवा सेवन में सहयोग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। पीसीआई इंडिया के डीएमसी रविकांत ने छात्राओं को दवा सेवन के लाभ के बारे में बताया और कहा कि हम सभी ने दवा का सेवन किया है और आप सब भी दवा खाकर फ़ाइलेरिया मुक्त जिला बनाने में अपना सहयोग करें।

दवा सेवन कर रहें फ़ाइलेरिया से सुरक्षित
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राम मोहन सहाय ने कहा कि फ़ाइलेरिया एक कभी नहीं ठीक होने वाली बीमारी है। एक बार इसके लक्षण जो सामान्यतः 8 से 15 वर्षों के बाद दीखते हैं नजर आयें तो इसके उपचार संभव नहीं है। दवा का सेवन कर फ़ाइलेरिया से सुरक्षा का सबसे सशक्त माध्यम है।

उन्होंने कहा कि एक बार यह रोग हो जाए तो सिर्फ इसका प्रबंधन मुमकिन है। फ़ाइलेरिया दीर्घकालिक विकलांगता का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। हाइड्रोसिल के मरीज का ऑपरेशन किया जा सकता है, लेकिन हाथीपांव का कोई उपचार नहीं है।

दवा पूरी तरह सुरक्षित
डॉ. सहाय ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं. सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद मितली आना, चक्कर जैसे लक्षण होते हैं तो यह सुभ संकेत है। इसका मतलब है कि हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद मर रहे हैं।