नालंदा: साइबर क्राइम कंट्रोल को लेकर साइबर थाना अपने बिहारशरीफ शहर में

नालंदा

— डीएसपी स्तर के पदाधिकारी होंगे थानाध्यक्ष
— साइबर थाने की टीम में 4 इंस्पेक्टर सहित 15 पुलिसकर्मी की होगी तैनाती
— मॉडर्न डिवाइसों से लैस होगा साइबर थाना
— इ-मेल से भी कहीं से दर्ज करा सकते हैं अपनी शिकायत
— नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने फीता काटकर किया थाने का उद्घाटन

Biharsharif/Avinash pandey: तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम की रोकथाम को लेकर शुक्रवार को एक साथ पूरे बिहार में 44 साइबर थाना शुक्रवार से काम करना शुरू कर दिया है। इसी की कड़ी में शुक्रवार को बिहारशरीफ शहर के नगर थाना परिसर में साइबर थाने का उद्घाटन नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने फीता काटकर किया। एसपी ने कहा कि साइबर फ्रॉड से संबंधित किसी तरह की शिकायत कोई भी व्यक्ति ई-मेल के माध्यम से या स्वयं आकर दर्ज करा सकते हैं।

डीएसपी स्तर के पदाधिकारी होंगे थानाध्यक्ष
थाने में एक डीएसपी, चार इंस्पेक्टर समेत कुल 15 पुलिसकर्मी की तैनाती की गयी है। ज्योति शंकर को जिले का पहला साइबर डीएसपी बनाया गया है। थाने में एक डीएसपी, चार इंस्पेक्टर, तीन दारोगा, एक प्रोग्रामर, दो सिपाही, तीन डाटा सहायक व एक चालक सिपाही होंगे। एसपी अशोक मिश्रा ने बताया कि बढ़ रहे साइबर अपराधों के देखते हुए इस थाना की शुरुआत की गयी है। इनका काम साइबर एफआईआर, अनुसंधान व छापेमारी करने के अलावा जागरूकता फैलाना व बचाव के उपाय बताना भी इनका होगा। कांडों की जांच इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी करेंगे। पर्यवेक्षण डीएसपी या थानाध्यक्ष करेंगे। साइबर थाना खुलने से कुछ हद तक साइबर फ्रॉड पर लगाम लग सकता है। इस मौके पर डीएसपी ज्योति शंकर , एसडीपीओ डॉ शिब्ली नोमानी , नगर थानाध्यक्ष नीरज कुमार सिंह के आलावा कई पुलिस पदाधिकारीगण मौजूद थे।

नालंदा के लिए बहुत जरुरी है साइबर थाना
नालंदा के लिए साइबर थाना बहुत जरुरी है। साइबर अपराधों की बात करें तो झारखंड का जामताड़ा व नालंदा का कतरीसराय पूरी दुनिया में बदनाम है। माना जाता है कि साइबर अपराधों की शुरुआत इन्हीं दो स्थानों से हुई। अब तो जिले के लगभग सभी प्रखंडों के अलावा आसपास के जिलों में भी इसका जाल फैल गया है। पढ़े-लिखे युवा भी इस अपराध के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। हर महीने दूसरे राज्यों की पुलिस यहां छापेमारी के लिए आती है। अब तक जिले के हजारों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी हो चुकी है। इक्का-दुक्का मामलों का ही उद्भेदन हो पाया है। साइबर थाना खुलने से यह उम्मीद बढ़ गयी है कि अब लोगों के रुपये सुरक्षित रहेंगे।