-कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए वीएचएसएनडी के पूर्व होगी वृद्धि निगरानी
-जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को जारी किए गए दिशा-निर्देश
-कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए आयोजित किए जाएंगे वजन सप्ताह
Biharsharif/Avinash pandey: जिले से कुपोषण को दूर करने के लिए आईसीडीएस ने कवायद तेज कर दी है। विभाग ने कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वीएचएसएनडी के पूर्व 0-6 वर्ष के बच्चों की होगी वृद्धि निगरानी की जानी है। कुपोषण की समय पर पहचान के लिए नियमित रूप से वृद्धि निगरानी आवश्यक है, ताकि कुपोषित बच्चों में कुपोषण को समय से दूर करने की योजना से लाभान्वित करते हुए उचित परामर्श दिया जा सके। जिसको देखते हुए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन सप्ताह का आयोजन कर सभी बच्चों की वृद्धि माप की जाएगी।
वीएचएसएनडी के दिन चिह्नित गंभीर कुपोषित बच्चों का एएनएम के द्वारा स्वास्थ्य जांच की जाएगी। अति गंभीर कुपोषित बच्चों, जिन्हें पोषण के साथ चिकित्सा की भी आवश्यकता है उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) रेफ़र किया जाएगा। अन्य कुपोषित बच्चों के माता-पिता एवं देखभालकर्ता को आहार विविधता, उच्च ऊर्जा युक्त भोजन, व्यतिगत स्वच्छता पर परामर्श एवं स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित सेवाओं से जोड़ा जाएगा।
वृद्धि निगरानी के सभी आंकड़ों की प्रविष्टि पोषण ट्रैकर एप में दर्ज करना अनिवार्य
आईसीडीएस की डीपीओ रीना कुमारी ने बताया कि विभागीय निर्देश के तहत जिले के परियोजना अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों को वृद्धि निगरानी के संबंध में जानकारी दी जा चुकी है। ताकि, वृद्धि निगरानी के सभी आंकड़ों की प्रविष्टि पोषण ट्रैकर एप में दर्ज की जा सके। इसके लिए प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह को वृद्धि निगरानी सप्ताह के रूप में आयोजित करते हुए मापित आंकड़ों का पोषण ट्रैकर में प्रविष्टि कराना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बाल अवस्था में विकास की तीव्र गति को देखते हुए समय-समय पर वृद्धि और विकास की गति और दर की पहचान किया जाना आवश्यक हैं।
सतत निगरानी से शारीरिक माप में आये अंतर की पहचान होती हैं और माता-पिता को सही समय पर उचित परामर्श दिया जा सकता हैं। वृद्धि निगरानी के फलस्वरूप पहचान किये गये कुपोषित बच्चों को समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं, अतिरिक्त पोषण और परामर्श द्वारा उनकी जान बचाई जा सकती और उनके पोषण स्तर को सुधारा जा सकता है।
वृद्धि निगरानी से पूर्व की जानी वाली गतिविधियां
डीपीओ ने बताया कि वृद्धि निगरानी से पूर्व आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को उनके पोषण क्षेत्र के सभी 0-6 वर्ष तक के बच्चों का नाम पोषण ट्रैकर के सर्वे रजिस्टर में संधारित करना है। ताकि, कोई बच्चा वृद्धि निगरानी प्रक्रिया से वंचित नहीं रहे। सभी बच्चों के परिवारों विशेषकर कुपोषित व अति-गंभीर कुपोषित बच्चों और कम वजन के बच्चों के अभिभावकों को पूर्व में सूचना देना है। जिससे वृद्धि निगरानी सप्ताह के दौरान उनकी उपस्थिति को सुनिश्चित की जा सके।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 0-6 वर्ष तक के बच्चों को उनके गृह क्षेत्र के अनुसार बांटा जा सकता और उसी अनुसार सूचना देकर उनको वृद्धि निगरानी के लिए आंगनवाड़ी केंद्र में बुलाया जा सकता है। आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण निगरानी सप्ताह के लिए आवश्यक उपकरण जैसे मां और बच्चे के लिए डिजिटल वजन मशीन, इन्फेटोमीटर, स्टेडिओमीटर एवं बेबी वजन मशीन की भी पूर्व में जांच कर लेनी है। ताकि, वृद्धि निगरानी के दौरान कोई परेशानी न उत्पन्न हो।