जिले को मिला 200 नसबंदी का लक्ष्य
Biharsharif/Avinash pandey: जनसंख्या स्थिरीकरण की राह में पुरुष नसबंदी अभी भी एक बड़ी रूकावट बनी हुई है। एक तरफ जहां परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों को अपनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। वहीं पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। पुरुषों की नसबंदी में भागीदारी बढ़ाने और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य समिति 21 नवंबर से पुरुष नसबंदी सप्ताह पखवाड़ा मनाएगी। विदित हो की फ़िलहाल जिले में 14 नवम्बर से 4 दिसंबर तक दो चरणों में परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा चलाया जा रहा है। जिसके पहले चरण (14 नवम्बर – 20 नवम्बर) में दंपत्ति संपर्क सप्ताह और दूसरे चरण (21 नवंबर- चार दिसंबर )तक पुरुष नसबंदी सह परिवार नियोजन सेवा वितरण सप्ताह मनेगा। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि पखवाड़े के पहले चरण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को पुरुष नसबंदी के लिए लाभार्थियों को प्रेरित करने पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा वो इच्छुक लाभार्थियों में निरोध, माला–एन तथा आवश्यकता अनुसार इमरजेंसी पिल्स के वितरण करने और स्थायी और अस्थायी साधनों को अपनाने के लिए इच्छुक दम्पत्तियों की लिस्ट बना उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों तक प्रेरित करेंगी। स्वास्थ्य केंद्रों पर भी आने वाले योग दंपति को कर्मियों द्वारा गर्भनिरोधक के संबंध में परामर्श देते हुए इच्छित गर्भ निरोधक साधन अथवा सेवा इच्छा अनुसार उपलब्ध करायी जा रही है।
प्रखंडवार 10 नसबंदी का है लक्ष्य
डॉ.सिंह ने बताया इस पखवाड़े में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रति प्रखंड 10 पुरुष नसबंदी का लक्ष्य दिया गया है। जबकि प्रति प्रखंड महिला बंध्याकरण का लक्ष्य 120 है। इसके लिए सभी आशा कार्यकर्ताओं को उनके क्षेत्र में पुरुषों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गयी है। प्रत्येक आशा फैसिलिटेटर को कम से कम एक पुरुष नसबंदी करवाने का निर्देश दिया गया है। भ्रम तोड़ें, महिलाओं के अपेक्षा अधिक आसान और फायदेमंद है पुरुष नसबंदी एसीएमओ ने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है।
यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल है। लेकिन, भ्रांतियों और अफवाहों के चक्कर में आकर पुरुष अभी भी परिवार नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति उदासीन बने बैठे हैं। इस भ्रम को तोड़ना होगा। छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुष को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग भी पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए कई रणनीति के तहत कार्य कर रहा है।