— प्रचुर मात्रा में पानी के साथ मौसमी फलों और ताजी सब्जियों का सेवन है फायदेमंद
— लू के लक्ष्ण दिखने पर चिकित्सकीय परामर्श है जरुरी
Biharsharif/Avinash pandey : बिहारशरीफ शहर के प्रख्यात चिकित्सक डा.इंद्रजीत ने बताया कि गर्मी की शुरुआत से ही गर्म हवाओं का प्रकोप बढ़ने लगा है। ऐसे मौसम में गर्म हवाओं के कारण लू लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है। बढ़ते तापमान के साथ चलने वाली गर्म तेज हवाओं से शरीर को सुरक्षित एवं अनुकूल करने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना जरुरी है। साथ ही नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण में सुधार कर गर्मी के दुष्परिणामों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
6 माह तक के शिशुओं का करायें सिर्फ स्तनपान
डा.इंद्रजीत ने बताया कि 6 माह तक के शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान ही पर्याप्त होता है। गर्मी के कारण स्तनपान के साथ किसी भी प्रकार का तरल पेय पदार्थ या पानी बच्चों को नहीं देना चाहिए। गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक बार स्तनपान कराकर गर्मी के कारण होने वाली विभिन्न समस्याओं से बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है।साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावा प्रचुर मात्रा में पानी एवं मौसमी फलों और ताजी सब्जियों का सेवन जरुर करना चाहिए।
ऐसे पहचाने लू के लक्ष्ण
तेज सिर दर्द का होना
उल्टी या जी मचलाना
बुखार का होना
त्वचा का लाल, गर्म एवं सूखा होना( पसीना नहीं चलना)
बेहोशी या चक्कर आना
घबराहट या संशय का बढ़ जाना
अत्यधिक आलस्य या सुस्ती का होना
दैनिक दिनचर्या एवं आहार परिवर्तन जरुरी
गर्मी के बढ़ने से पसीना चलना शुरू होता है। जिससे शरीर में पानी की मात्रा में तेजी से कमी आती है। इसलिए इस मौसम में प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करना फायदेमंद है। इसके साथ ही मौसमी फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायक होता है।
खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलें
सुपाच्य एवं हल्के भोजन का करें सेवन
अत्यधिक शीतल पेय पदार्थों के सेवन करने से बचें
रात्रि में देर रात तक नहीं जागें एवं कम से कम 8 घन्टे की नींद जरुर लें
अत्यधिक वजन से शरीर में अतिरिक्त ऊष्मा पैदा होती है. इसलिए अत्यधिक वजन वाले लोग गर्मी के दिनों में वसा युक्त भोजन सेवन करने से बचें।
लू लगने पर चिकित्सकीय परामर्श लें
डा.इंद्रजीत ने बताया कि दोपहर में घर से निकलने से बचना चहिए या अधिक धूप की स्थिति में छाता का उपयोग करना चहिये। लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरुरी है। ऐसे प्राथमिक उपचार के तौर पर लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए ताकि अतिसार से बचा जा सके। इसके ईलाज के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला अस्पताल में पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है।