• करीब सभी प्रखंडों में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर 1 से अधिक
• माइक्रो फ़ाइलेरिया दर जानने के लिए रात्रि में होता है रक्त पट संग्रह
बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: आगामी चक्र में नालंदा जिला के सभी प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम ( एमडीए ) संचालित किया जायेगा। जिले में दिसंबर में संचालित नाईट ब्लड सर्वे में करीब सभी प्रखंडों में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर 1 से अधिक पायी गयी है। इसकी जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राम मोहन सहाय ने बताया कि गिरियक प्रखंड में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर 1 से कम पायी गयी लेकिन एमडीए कार्यक्रम वहां भी संचालित किया जायेगा।
सैंपल साइज़ में हुआ इजाफा:
डॉ. राम मोहन सहाय ने बताया कि इस वर्ष नाईट ब्लड सर्वे में सभी प्रखंडों से 900 रक्त के सैंपल इकठ्ठा किये गये। उन्होंने बताया कि अभी तक एक प्रखंड से 600 सैंपल इकठ्ठा किये जाते थे, लेकिन इस बार सभी प्रखंडों से 900 रक्त के सैंपल इकठ्ठा किये गये। डॉ. सहाय ने बताया कि एमडीए कार्यक्रम के संचालन के लिए जिला पूरी तरह से तैयार है और अभियान के दौरान शत प्रतिशत लक्षित आबादी को दवा खिलाई जाएगी.
फाइलेरिया के पहचान के लिए नाईट ब्लड सर्वे जरूरी
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया यानि हाथीपांव के परजीवी की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। स्लाइड में लिए ब्लड को माइक्रोस्कोप में देखने के बाद ही फाइलेरिया के परजीवी धागे के समान दिखाई देते हैं और यह परजीवी मुख्यतः रातों में ही सक्रिय होते हैं।
इसलिए रक्त के नमूने रात्रि 8.30 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक किया जाते है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग का लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते है बल्कि 10 या 12 साल के बाद इसका असर दिखाई देता है। ऐसे में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान ब्लड की जांच करवा कर फाइलेरिया की पहचान की जा सकती है।