नालंदा : नही रहे चाइनिज टेम्पल नालंदा के प्रमुख भंते पैंयालिंकारा

नालंदा बिहार

बिहारशरीफ, अविनाश पांडेय। नालंदा स्थित चीनी मंदिर के प्रमुख डॉ. भंते पैंयालिंकरा का शुक्रवार को निधन हो गया। वे पूर्व में कई दिनों से बीमार थे। पर कल गुरुवार को अचानक तबियत खराब हो गयी। उन्हें तत्काल बिहारशरीफ इलाज के लिए ले जाया गया। परन्तु हालत बिगड़ने पर उन्हें पटना रेफर कर दिया गया। जहां दिल का दौरा पड़ने से शुक्रवार को निधन हो गया। वे 40 से भी अधिक सालों से नालंदा में रह रहे थे। उनके निधन की खबर सुनकर उनके शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई है। 80 के दशक में बांग्लादेश से शिक्षा ग्रहण करने नालन्दा की धरती पर जब उन्होंने कदम रखा था। तब कभी सोचा भी नही होगा कि इस धरती पर ही उनके कार्यक्षेत्र होंगे।

अपने गुरु डॉ. यू जागरा (तत्कालीन महाविहार के प्रोफेसर) की प्रेरणा ने उन्हें नालन्दा का ही निवासी बना दिया। वह कुत्ते के बहुत प्रेमी थे। नालंदा में चाइनीज बाबा के नाम से मशहूर किसी परिचय के मुहताज नही थे। 80 के दशक में बांग्लादेश से शिक्षा ग्रहण करने नालन्दा की धरती पर जब उन्होंने कदम रखा था। तब कभी सोचा भी नही होगा कि इस धरती पर ही उनके कार्यक्षेत्र होंगे। अपने गुरु डॉ. यू जागरा (तत्कालीन महाविहार के प्रोफेसर) की प्रेरणा ने उन्हें नालन्दा का ही निवासी बना दिया। भारत-चीन के बीच उपजे गतिरोध पर भी टिपण्णी करने में उन्हें कोई हिचक नही हुआ था।

उस दौरान मेरी उनसे बातचीत हुई थी । तब उन्होंने साफ व बेबाक लहजे में कहा था कि वर्तमान चीनी सरकार की नीति गलत है। भारत का पुराना व मजबूत पड़ोसी होते हुए जो सीमा विवाद किया जा रहा है वह गलत है। इससे प्राचीन बुद्धिज्म लिंक प्रभावित हो रहा है। उन्होंनेे अपने जीवन काल में गरीब दुखियों की काफी आर्थिक मदद की उनका कहना था कि मदद करने से उन्हें आत्मिमीय शांति मिलती है।

चाइनिज बाबा के नाम से प्रसिद्ध डॉ. पैंयालिकारा बांग्लादेश के निवासी थे
चाइनिज बाबा के रूप में विख्यात डॉ. पैंयालिंकारा बांग्लादेश से 1983 में नालन्दा आये थे।
साल 1985 में इन्होंने पालि भाषा से आचार्य किया। उस समय नव नालन्दा महाविहार दरभंगा के कामेश्वर सिंह विवि से सम्बद्ध था। उसी समय उनके गुरु डॉ. जागरा ने उन्हें नालन्दा में बने चीनी बौद्ध मंदिर से जुड़ने की प्रेरणा दी।