Nalanda: घर घर हो रही कुष्ठ मरीजों की खोज, 394 व्यक्तियों में हुयी लक्षणों की पहचान

बिहार सासाराम

-कुष्ठ रोग के कारण, लक्षण, बचाव, उपचार एवं मरीजों को पहचान करने की दी जा रही है जानकारी
-109 पर्यवेक्षकों ने संभाली 2195 टीम की कमान, मरीजों को उपचार के लिए कर रहे प्रेरित

Biharsharif/ Avinash pandey: जिले में 8 अक्टूबर से हर घर सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे इस अभियान के तहत 2 वर्ष से ऊपर की सभी महिला व पुरुषों की शारीरिक जांच की जा रही है , उनके शरीर पर किसी भी प्रकार की अस्वाभाविक दाग या कुष्ठ के लक्षण नजर आने पर उन्हें तत्काल जांच के लिए नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में भेजा जा रहा है। ताकि रोग होने या ना होने की पुष्टि कर आवश्यकतानुसार इलाज शुरू किया जा सके। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार सिंह ने अभियान के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि खोजी अभियान के दौरान न केवल मरीजों की खोज की जा रही बल्कि तीन साल पूर्व चिह्नित हुए लोगों के परिजनों और पड़ोसियों को भी उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार ने वर्ष 2030 तक कुष्ठ को पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया है। यह सभी के सहयोग से से ही संभव है। इसलिए इस रोग को ना छुपायें बल्कि शरीर के किसी भी हिस्से में तम्बाई रंग का दाग हो और उस दाग में सूनापन हो, हाथ और पैर के नस का मोटा होना, दर्द होना एवं झुनझुन्नी होना जैसे लक्षण दिखे तो यह कुष्ठ का शुरुआती लक्षण हो सकता है, इसलिए तुरंत जांच कराएं । कुष्ठ का इलाज प्रारंभिक अवस्था में होने से विकलांगता से बचा जा सकता है।

अब तक 394 लोगों में हुयी लक्षणों की पहचान
जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर तक जिले में कुल 394 व्यक्तियों में कुष्ठ रोग के सामान्य लक्षणों की पहचान की गयी है। इन संदेहास्पद दाग या लक्षणों को आशा एवं मेल वालंटियर द्वारा सत्यापित किया जाता है। इसके बाद मेडिकल ऑफिसर द्वारा सत्यापन किया जाता है। संदेहास्पद मरीज मिलने पर खोजी दल द्वारा रेफरल स्लीप देकर निकट के स्वास्थ्य केंद्र में कुष्ठ रोग की पुष्टिकरण के लिए भेजा जाता है । जहां चिकित्सा अधिकारी द्वारा कुष्ठ की पुष्टिकरण करने के बाद उसका तत्काल इलाज शुरू किया जा रहा है ताकि जिले को कुष्ठ मुक्त बनाया जा सके।

समुदाय के हर व्यक्ति से कुष्ठ रोग की जानकारी देने की अपील
सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया माइकोबैक्टीरियम लेप्राई जीवाणु द्वारा पनपा लेप्रोसी एक दीर्घ कालीन संक्रामक रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है और धीमी गति से फैलता। इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में रोग के लक्षण दिखने में लगभग 3 से 4 साल तक समय लग जाता और आंशिक या सम्पूर्ण विकलांगता दे सकता है। समुदाय के हर व्यक्ति से कुष्ठ रोग की जानकारी देने की अपील की जा रही है। जिससे जिले को कुष्ठ मुक्त बनाया जा सके। उन्होंने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि कुष्ठ मरीजों का इलाज संभव है। इसके लिए एमडीटी की टैबलेट ली जाती है। पीबी प्रकार के रोगियों को 6 महीने और एमबी प्रकार के रोगियों को 12 महीने नियमित दवा सेवन की सलाह दी जाती है। सामान्य मरीजों के लिए पीएचसी स्तर पर समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जबकि, गंभीर मरीजों को जिला स्तरीय अस्पताल भेजा जाता है।