नालंदा : सकारात्मक ऊर्जा एवं बेहतर मनो-शारीरिक स्वास्थ्य का स्त्रोत है योग– सिविल सर्जन

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बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मंगलवार को जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर योग सत्रों का आयोजन किया गया। इस बात की जानकारी देते हुये सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया योग का अर्थ ही जोड़ कर बढ़ाना है।

यह किसी धर्म विशेष से ना जुड़कर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और कई तरीकों से फायदेमंद है। हमारे पूर्वजों के सुंदर स्वास्थ्य का रहस्य भी इन्ही योग क्रियाओं में छुपा हुआ है। उन्होंने बताया कि आठवें योग दिवस के उपलक्ष्य में आज सुबह जिला सदर अस्पताल परिसर में भी योग दिवस का आयोजन किया गया जिसमें स्वास्थ्य अधिकारियों, चिकित्सकों, कर्मियों के संग परिसर में उपस्थित लाभार्थियों ने हिस्सा लिया।

विभिन्न रोगों का शुरुआती इलाज है योग : योग, चिकत्सा की सबसे प्राचीन पद्धतियों में से एक है जिसके सहारे रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, सांस संबंधी व हृदय संबंधी कई कठिन रोग का इलाज संभव है। योग न सिर्फ शरीर में सफ़ेद रक्त कणिकाओं को बढ़ा कर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है बल्कि शरीर में आक्सीजन की कमी, मानसिक तनाव, पेट संबंधी रोग औरदूसरे कई रोगों से लड़ने में भी सहायक है। यहाँ तक कि यक्ष्मा जैसे गंभीर रोग को भी योग की सहायता से नियंत्रित किया जा सकता है।

जाने किस योग के क्या हैं फायदे

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए करें इन योगासनों का अभ्यास : शलभासन और भुजंगासन के जरिये फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके अलावा पश्चिमोत्तनासन यकृत और गुर्दे से संबंधित रोगों से बचाव करता है।
उष्ट्रासन पाचन तंत्र को बेहतर कर भूख बढ़ाता है। कमर दर्द में भी आराम होता है।

उत्तानापादासन हाजमे को दुरुस्त रखने के साथ ही तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत करता है। पवनमुक्तासन वायु विकार और कब्ज मिटाने में प्रभावी है। दुर्बलता को दूर किया जा सकता है। मंडूकासन मधुमेह, कोलाइटिस से मुक्ति में सहायक है। पैंक्रियाज से इंसुलिन रिलीज करने में मददगार होता है। साथ ही इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
भोजन के बाद वज्रासन को अपनाने से गैस्ट्रिक, कब्ज, अपच समेत पेट की अन्य बीमारियों को दूर की जा सकती है।

आक्सीजन की कमी दूर करने के लिए करें प्राणायाम : कोरोना का संक्रमण एक बार फिर बढ़ रहा है। ऐसे में योग का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में भास्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से ऑक्सीज़न की कमी को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा भास्त्रिका प्राणायाम पाचन तंत्र, ह्दय, फेफड़े मस्तिष्क, पित्त और कफ दूर करने में मदद करता है, जबकि अनुलोम-विलोम ह्दय रोग और कपालभाति शरीर के दूसरे अंगों को स्वस्थ रखने में सहायक है।

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योग की प्रमुख क्रियाओं में सूर्य नमस्कार, प्राणायम, मंडूकासन, शशकासन, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, उष्ट्रासन, योगमुद्रासन, गोमुखासन, भुजंगासन, पादहस्तासन, पवनमुक्तासन, मर्कटासन, वक्रासन, कटिचक्रासन, भुजंगासन आदि मुख्य रूप से शामिल किये गये हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने गये हैं।