Nawada Rabindra Nath Bhaiya: राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा स्थानीय शहरी निकाय चुनाव तिथि की घोषणा के बाद जिले के हिसुआ को छोड़ नवादा,वारिसलीगंज व रजौली बाजारों में फिर से रौनक दिखने लगी है. सुबह और शाम की राम-राम और दुआ सलाम फिर से परवान चढ़ने लगा है. सोशल मीडिया के विभिन्न साइट पर प्रत्याशी अपने चेहरे फिर से चमकाने लगे हैं. कोर्ट के आदेश के बाद 4 अक्टूबर को चुनाव को स्थगित कर दिया गया था.
राज्य निर्वाचन आयोग के बाद फिर से पुराने नॉमिनेशन के आधार पर प्रत्याशियों का चुनावी समर शुरू हो गया है. जिले के तीन शहरी निकाय क्षेत्रों में 18 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. प्रत्याशियों के पास 16 दिसंबर तक अपने प्रचार प्रसार के लिए समय है. वोटरों से संपर्क साध कर अपने चुनावी वादे और योजनाओं को सामने रखने का समय उनके पास है. चुनाव स्थगित होने से उदास प्रत्याशियों के चेहरे में अचानक खुशी की चमक लौटी है.
सोशल मीडिया पर चमकने लगे चेहरे :
फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फिर से प्रत्याशियों के अपने चुनाव चिह्न के साथ तस्वीरें वायरल होने लगी है.
नवादा शहरी विकास क्षेत्र के सभी 44 वार्ड के अलावे चेयरमैन और उप चेयरमैन पद के लिए मैदान में डटे प्रत्याशी लोगों से संपर्क साध कर अपने लिए वोट की अपील शुरू कर दिए हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा अचानक घोषित किये गए नये डेट पर चुनाव कराने की घोषणा ने सभी प्रत्याशियों में फिर से नया जोश में भर दिया है. प्रचार प्रसार के लिए फिर से रणनीति बनने लगी है. वोटरों से संपर्क साध कर उन तक अपने मैसेज पहुंचाने के लिए प्रत्याशी फिर से कमर कस रहे हैं. नगर के न्यू एरिया, मिर्जापुर, पार नवादा आदि क्षेत्रों में फिर से लोगों से संपर्क साधने का काम शुरू हुआ है.
प्रत्याशियों में अभी भी संशय है बरकरार :
राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा नगर निकाय चुनाव के लिए पहले और दूसरे चरण के डेट जारी हो गये हैं. वोटिंग और नामांकन के डेट जारी होने के बाद लोगों के द्वारा फिर से चुनावी प्रक्रिया में संपर्क अभियान को तेज किया जा रहा है. बावजूद चुनाव होगा या नहीं इसको लेकर संशय लगातार जारी है. राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा राज्य में स्थापित अति पिछड़ा आयोग के द्वारा सर्वे करा कर दिए गए रिपोर्ट के आधार पर फिर से नया चुनावी डेट जारी किया गया है.
चुनावी प्रक्रिया फिर से अधर में लटक सकती :
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद कोर्ट के द्वारा अंतिम रूप से क्या फैसला लिया जाएगा यह अभी निश्चित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया गया है, जिसमें उन्हें आयोग की वैधता के साथ ही आयोग द्वारा किए गए सर्वे की प्रमाणिकता से संबंधित जवाब प्रस्तुत करना है. इस दौरान यदि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कोई आदेश जारी होता है तो चुनावी प्रक्रिया फिर से अधर में लटक सकती है. लोग आशंका जता रहे हैं कि आयोग के द्वारा निर्धारित किए गए समय पर चुनाव संपन्न हो पायेगा भी या नहीं?