अक्षय नवमी (भुआदान) बुधवार को, जानें आंवले की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

नवादा

Nawada, Rabindra Nath Bhaiya : अक्षय नवमी (भुआदान) का पर्व आंवला से संबंधित है.कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है. इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं.ऐसा माना जाता है कि इस दिन से द्वापर युग आरम्भ हुआ था. इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध किया था और धर्म की स्थापना की थी. आंवले को अमरता का फल भी कहा जाता है. इस दिन आंवले का सेवन करने से सेहत का वरदान मिलता है. आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. इस दिन आंवले के वृक्ष के पास विशेष तरह की पूजा उपासना भी की जाती है. इस बार अक्षय नवमी 02 नवंबर को मनाई जाएगी.

अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त:-
इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 01 नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 02 नवंबर की रात 09 बजकर 09 मिनट पर होगा. अक्षय नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 02 नवंबर की सुबह 06 बजकर 34 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.

अक्षय नवमी का महत्व:-
कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को यह पर्व मनाया जाता है. ऋग्वेद में बताया गया है कि इस दिन सतयुग आरम्भ हुआ था. इसलिए इस दिन व्रत, पूजा, तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है. आंवला नवमी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियां छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था. इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा भी प्रारंभ होती है.

अक्षय नवमी की पूजा विधि :-
आंवला नवमी के दिन स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें. प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले. इसके बाद आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व की ओर मुख करके जल अर्पित करें. वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और कपूर से आरती करें. वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन करें.

आंवले के जादुई उपाय :-
आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से भी शुभ माना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ पर हल्दी का स्वस्तिक बनाएं. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी. ऐसा कहते हैं कि आंवले के बीजों को हरे कपड़े में बांधकर अपने पास रखने से आर्थिक लाभ होता है. इस पोटली को आप तिजोरी या धन के स्थान पर भी रख सकते हैं. अगर आप व्यापारी हैं तो आवले के बीजों की बंधी पोटली अपने गल्ले में रख सकते हैं.