नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले का कश्मीर ककोलत जलप्रपात पर विसुआ संक्रांति पर्व पर मेले का आनंद इस वर्ष स्थानीय लोग नहीं ले सकेंगे। और और इस भीषण गर्मी में सैलानियों को तपीश बुझाने का मौका नहीं मिल सकेगा। ऐसा वन विभाग द्वारा शीतल जलप्रपात का सौन्दर्यीकरण आरंभ कराये जाने के कारण होने जा रहा है। नायादगार समय से लगता आ रहा था मेला:- विसुआ संक्रांति के अवसर पर ककोलत जलप्रपात पर नायादगार समय से 14 अप्रैल से 16 अप्रैल तक तीन दिनों का मेला लगता आ रहा है। कोरोना काल में मेला तो नहीं लगा लेकिन लोगों ने ककोलत स्नान कर परंपरा का निर्वाह किया था।
सर्प व गिरगिट योनि से मिलती है मुक्ति:- मान्यता है कि विसुआ संक्रांति के अवसर पर ककोलत में स्नान करने से सर्प व गिरगिट योनि से मुक्ति मिलती है। परंपरा का निर्वाह महाभारत काल से चला आ रहा है। लेकिन इस वर्ष पहली बार ककोलत स्नान करने से हजारों लोगों को वन विभाग द्वारा बंचित किये जाने से स्थानीय लोगों में रोष है। तपीश के मौसम में शीतल जल का आनंद नहीं ले सकेंगे सैलानी:- वैसे तो ककोलत जलप्रपात पर सैलानियों का आना सालों भर जारी रहता है।
लेकिनआमतौर पर होली के बाद पांच माह तक सैलानियों की तायदाद प्रतिदिन हजारों में रहता है। रविवार को अवकाश के दिनों में संख्या पन्द्रह हजार से ज्यादा हो जाती है। लेकिन इस बार गर्मी वह तपीश में भारी बृद्धि के बावजूद सैलानियों को आनंद लेने से बंचित किया जा रहा है। दस माह से प्रवेश पर लगा है प्रतिबंध:-अगस्त माह में जल की उग्र धारा ने जलप्रपात पर जाने के लिए बनायी गरी सीढ़ी को ध्वस्त कर दिया था। इसके साथ ही सीढ़ी पर बड़े बड़े चट्टान गिरने के कारण वन विभाग ने ककोलत स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया तबसे प्रतिबंध लगा है।
युद्ध स्तर पर चल रहा काम:- पर्यटन विभाग ने ककोलत विकास के लिए लगभग 09 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की है। वन विभाग सौन्दर्यीकरण की जिम्मेदारी सौंपी है। फिलहाल तालाब, चेंजिंग रूम, शौचालय, प्रवेश द्वार वह सीढ़ी का काम किया जा रहा है। ऐसा करने से पहले जलधारा को दूसरी ओर मोड़े जाने के कारण स्नान कर पाना संभव नहीं है।
बहरहाल इस वर्ष लम्बे अंतराल के बाद न तो विसुआ संक्रांति मेला लग पायेगा न ही गर्मी वह तपीश के मौसम में सैलानियों को आनंद लेने का अवसर।