नालंदा : एचआईवी का संक्रमण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला कर बनाता है कमजोर

नवादा

— जागरूकता एवं संयमित जीवनशैली है एचआईवी के संक्रमण से सुरक्षा का मार्ग
— रक्तदान करने वाले व्यक्ति रहें सतर्क

Biharsharif/Avinash pandey : एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। अमूमन हर कोई यह जानता और समझता है कि एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा संक्रमण ( इंफेक्शन) से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसमें जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता। लेकिन, उसके बावजूद आज भी लोग इस बड़ी समस्या को लेकर खुल कर बात नहीं कर पाते।

मरीजों के लिए संक्रमण के होते हैं अलग अलग स्टेज
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बिजय कुमार सिंह ने बताया कि एचआईवी मरीजों के लिए संक्रमण के अलग अलग स्टेज होने के कारण, एड्स के लक्षण भी अलग अलग होते हैं। हालांकि, एचआईवी पीड़ित पहले कुछ महीनों में सबसे अधिक संक्रामक होते हैं, लेकिन फिर भी कई लोगों को यह एहसास नहीं होता है कि वे बाद के स्टेज तक संक्रमित हैं। शुरुआती स्टेज के दौरान, लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते या इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी जैसे कि बुखार, सिरदर्द, चकत्ते या गले में खराश नजर आता है।

शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं। जब इस तरह के लक्षण दिखे तो तुरंत अपनी जांच करवा लें। डॉ. सिंह ने बताया कि रक्तदान करने वाले लोग सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों अथवा विश्वसनीय संस्थान जैसे रेड क्रॉस में ही रक्तदान करें| सीरिंज के नीडल से एचआईवी के संक्रमण के मामले देखे जाते हैं और ज्यादातर नशे की लत वाले लोग इसके शिकार होते हैं|

एचआईवी के शुरुआती लक्षण नहीं दिखते
डॉ. सिंह ने बताया कि प्रारंभिक एचआईवी लक्षण आमतौर पर संचरण के एक से दो महीने के भीतर उत्पन्न होते हैं। हालांकि, वे एक्सपोजर के दो सप्ताह बाद ही आ सकते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों को एचआईवी होने के बाद शुरुआती लक्षणों का अनुभव नहीं हो सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रारंभिक एचआईवी लक्षण सामान्य बीमारियों और स्वास्थ्य स्थितियों से भी जुड़े हैं। एचआईवी स्थिति के बारे में सुनिश्चित होने के लिए, परीक्षण के विकल्पों के बारे में चिकित्सकों से बात करने पर विचार करें।

टेस्ट से ही एचआईवी संक्रमण की पहचान
किसी व्यक्ति को एचआईवी है या नहीं, यह जानने का एकमात्र तरीका टेस्ट है। एचआईवी टेस्ट करवाना ही यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि वायरस शरीर में है या नहीं। ऐसे ज्ञात जोखिम कारक हैं, जो किसी व्यक्ति के एचआईवी संक्रमित करने की आशंका को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, जिन लोगों ने बिना कंडोम का इस्तेमाल किए एक से ज्यादा लोगों से यौन संबंध बनाएं हैं या एक ही सुई को साझा किया है उन्हें अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर एड्स की जांच अनिवार्य रूप से करानी चाहिए।