Nawada : हरिहर महायज्ञ की सफलता देख गदगद हैं आयोजनकर्ता

नवादा

Rabindra Nath Bhaiya: नगर के गोवर्धन मंदिर में चल रहे 9 दिवसीय श्री हरिहर महायज्ञ की आशातीत सफलता से गौरवान्वित मंदिर समिति के कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। सुबह से लेकर मध्य रात्रि तक मंदिर परिसर और रासलीला स्थल के आसपास श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। मेला क्षेत्र में सैकडों अस्थाई दुकानें देर रात तक गुलजार रहती है। मंदिर परिसर में यज्ञाचार्यों के मन्त्र जाप और यजमानों द्वारा समर्पित आहूतियों से वातावरण में अलौकिक आकर्षण देखने को मिल रहा है। प्रातः 8 बजे से संध्या पांच बजे तक जहाँ यज्ञशाला की परिक्रमा, हवन पूजन और मंत्रोच्चारण से रज-गज रहता है वहीँ संध्या पांच बजे से मध्य रात्रि तक श्री मद्भागवत कथा और रासलीला दर्शन में लोग लीन हो जाते हैं। मंदिर समिति के सचिव महेंद्र यादव ने बताया कि पूर्व राज्यमंत्री राजबल्लभ प्रसाद ने नवादा वासियों को अद्भुत उपहार दिया है जिसकी गूंज अब अंतर्राज्यीय स्तर पर सुनाई दे रही है।

अयोध्यावासी महंथ मिथिलेश नंदनी शरण जी महाराज ने कथा पीठ से घोषणा की कि गोवर्धन मंदिर केवल मंदिर नहीं तीर्थ हो गया है। ऐसा खबसूरत और सुसज्जित मंदिर देश के गिने चुने जगहों पर ही है। इस पुनीत कार्य के लिए जिसने भी कदम बढ़ाया हैं भगवान हरिहर उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान करेंगे। यज्ञशाला की गतिविधियों की जानकारी देते हुए यज्ञाचार्य उमेश दत्त शुक्ल और आचार्य गौरव दत्त शुक्ल ने कहा की श्री हरिहर महायज्ञ के छठे दिन द्वार पूजन, सोलह स्तंभों का पूजन, भगवान हरिहर मंडल का पूजन आदि दैनन्दिनी के बाद वेद् मन्त्रों के 16 हजार जाप और इतनी ही आहूतियां सभी ग्यारह जोड़ी यजमानों के द्वारा समर्पित की गई।

सुदामा कोई और नहीं गंगाजल से श्री राम का चरण पखारने वाला केवट ही है ब्यास भावेश कृष्ण भारद्वाज रासलीला में कृष्ण-सुदामा की युगांतकारी मित्रता को रंगमंच पर उतारते हुए ब्यासपीठ से ब्यास भावेश कृष्ण भारद्वाज ने शास्त्रों का हवाला देकर बताया कि द्वापर के सुदामा त्रेता में श्री राम का चरण गंगाजल से पखारने वाले केवट ही हैं। वृन्दावन के कलाकारों ने श्री कृष्ण और बाल सखा सुदामा की लीला को बड़ी रोचक और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। संदीपनी मुनि के आश्रम से लेकर द्वारिका पूरी तक एक एक प्रसंग को मंच पर साकार रूप में प्रस्तुत किया गया। खचाखच भरे पांडाल में श्रद्धालुओं की भावनाएं व्यास पीठ से प्रवाहित मधुर ध्वनि और वाद्ययंत्रों की सुर-लहरी से ओतप्रोत हो रही थी। भारी भीड़ में भी दर्शकों की अनुशासनिक प्रतिबद्धता से ब्यासपीठ काफी प्रभावित हुए।

श्री मद्भागवत कथा सुनकर ब्रह्मलीन हुए श्रोता :-
कथावाचक राधेश्याम शास्त्री जी महाराज की कथा सुनते हुए खचाखच भरे श्रोताओं में तल्लीनता देखते बन रही है। महाराज जी ने भगवान की लीलाओं पर विस्तारित रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण समग्र जीवन को आधे-अधूरे में नहीं बल्कि पूर्णता में स्वीकार करते हैं। जीवन की समग्रता उनकी लीलाओं में फलित हुई है इसीलिए श्री कृष्ण को पूर्ण अवतार कहा गया है। श्री कृष्ण पूर्ण परमात्मा हैं। उन्होंने कहा कि अभिव्यंजक स्थल के अनुरूप ही अभिव्यक्ति भी होती है। श्री कृष्ण अतीत में जरूर हुए किन्तु हैं वे भविष्य के। अनुराग और वैराग्य दोनों घटित है उनमें। महाराज जी ने कथा को कलात्मकता के साथ परोसते हुए श्रद्धालुओं को ब्रह्मलीन बनाये रखा। कुछ देर के लिए कथा पीठ से महंथ मिथिलेश नंदनी शरण जी महाराज ने भी श्रद्धालुओं को अपने अमृत वचन से तृप्त किया। उन्होंने गोवर्धन मंदिर की वास्तुकला, सौंदर्य, उत्कृष्टता, पवित्रता और जनपक्षधरता की सराहना करते हुए इसे महान तीर्थस्थल बताया।

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