Nawada : क़ारी मोहम्मद इकरामुल हक़ हबीबी हज़ारों नम आंखों के बीच हुए सुपुर्द ख़ाक

नवादा

Rabindra Nath Bhaiya: मौलाना नौमान अख़्तर फायक़ जमाली प्राचार्य दारुल उलूम फैजुल बारी नवादा ने बताया कि गुरुवार की रात 9 बजे दारुल उलूम फैजुल बारी नवादा के सीनियर उस्ताद ( शिक्षक) रहे क़ारी मोहम्मद इकरामुल हक़ हबीबी का निधन हो गया। जब से नवादा में मदरसा फैजुल बारी स्थापित हुआ उसी समय से क़ारी इकरामुल हक़ साहब मदरसा में पठन पाठन के महत्वपूर्ण कार्य में लग गए और मरहूम मौलाना जमाल अहमद क़ादरी का हर स्थान पर साथ निभाते रहे। शोबा -ए- हिफ्ज़ व किरअत के छात्रों को बड़ी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाते रहे और सब छात्रों ने हिफ्ज़ कुरआन पूर्ण कर आज देश के विभिन्न हिस्सों में दीन -ए- मतीन की ख़िदमत अनजान दे रहे हैं।

क़ारी मोहम्मद इकरामुल हक़ मदरसा फैजुल बारी के एक सफल शिक्षक के साथ साथ ही रजा जामा मस्जिद के इमाम व ख़तीब भी रहे। वे भारत के मशहूर सूफी और फकीर -ए- कामिल हुजूर मुजाहिद -ए- मिल्लत अल्लामा सैय्यद हबीबुर्रहमान अ० से मुरीद थे जिन का मजार उड़ीसा के धान नगर‌ शरीफ में स्थित है जहां आज भी उनके उर्स के अवसर पर लाखों श्रद्धालु जाते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं। क़ारी इकरामुल हक़ साहब को हुजूर विकारे मिल्लत से भी ख़िलाफत प्राप्त थी। इधर कुछ महीनों से क़ारी इकरामुल हक़ बीमार चल रहे थे। पटना और कोलकाता रांची में चिकित्सकों से इलाज भी चला मगर हजार प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका और गुरुवार की रात्रि को अपने घर भदौनी में जीवन की अंतिम सांस लेते हुए अपने लाखों चाहने वालों को रोता-बिलखता छोड़कर वहां चले गए जहां से कोई लौटकर नहीं आता है।

क़ारी इकरामुल हक़ साहब के निधन से दारुल उलूम फैजुल बारी नवादा को अपूरणीय क्षति हुई है जिस की भरपाई मुम्किन नहीं तो मुश्किल ज़रुर है। इन के जनाजे की नमाज शुक्रवार को जुमा की सामूहिक नमाज के बाद मदरसा फैजुल बारी में अदा की गई जिसमें शहर नवादा के अलावा विभिन्न प्रखंडों से लगभग पंद्रह हज़ार लोगों ने जनाजे की नमाज अदा किया और हज़ारों भीगी पलकों के बीच भदौनी शरीफ़ के आलो बाबू क़ब्रिस्तान में सुपुर्द ख़ाक किया गया। मौलाना नौमान अख़्तर फायक़ ने बताया कि क़ारी इकरामुल हक़ साहब एक लोकप्रिय व्यक्ति थे और अपने अल्लाह की इबादत व बन्दगी करने वाले शख्स थे।

इसी का परिणाम है कि उन्होंने इस्लाम धर्म के अनुसार बहुत ही शुभ दिन में दुनिया को अलविदा कहा। अपने पीछे अपनी पत्नी,तीन बेटे और तीन बेटियां छोड़ गए हैं। इस अवसर पर जनाजे की नमाज में जहां इस्लाम धर्म के बड़े – बड़े विद्वान और समाज सेवी शामिल थे वहीं शहर के मशहूर आलिमों में मुफ्ती शहाबुद्दीन हबीबी, मौलाना मो० जहांगीर आलम महजूरुल क़ादरी, मौलाना गुलाम मुर्तजा हबीबी,मुफ्ती मुजफ्फर हुसैन मिस्बाही, मौलाना सादिक हुसैन अशरफी, मौलाना अमरुल्लाह, मौलाना बहाउद्दीन, मौलाना जमशेद आलम खां, मौलाना फरहान सक़ाफी मौलाना सैयद अरशद अफज़ली आदि उपस्थित थे।