Nawada : अपहृत नाबालिग बच्ची की बरामदगी जिन्दा या मुर्दा हो जल्द- अकेला

नवादा

Nawada (Rabindra Nath Bhaiya) मानवाधिकार से सम्बन्धित संगठन पीयूसीएल के राष्ट्रीय पार्षद दिनेश कुमार अकेला ने जिले के धमौल थानान्तर्गत नाबालिग बच्ची की अपहरण और गुमशुदगी जैसी दर्दनाक घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया है. उन्होंने आरक्षी अधीक्षक समेत सभी सम्बन्धित उच्चाधिकारियों से अविलंब घटना की न्यायिक जांच कर नाबालिक अपहृत छात्रा को जिन्दा या मुर्दा बरामद करने की मांग की है. उक्त बीभत्स घटना में शामिल सभी दानवों को तुरंत गिरफ्तार कर कठोर दंड देने की मांग सरकार से अकेला ने किया है. चर्चित दरिंदगीभरी घटना मानवाधिकार और मानवीय संवेदनाओं को शर्मसार कर झकझोर कर रख दिया है.

इसकी जितनी भी निन्दा की जाय ,वह बहुत कम होगा. विदित हो कि जिले के धमौल थानान्तर्गत तुरूकवन गांव की यह घटना 8 अक्टूबर 22 को लगभग सवा एक बजे कोचिंग सेंटर जाने के क्रम व समय में रविन्द्र कुमार सहायक शिक्षक की नाबालिग पुत्री संध्या भारती का अपहरण तुरूकवन गांव के ही अनिल चौधरी के पुत्र आजाद कुमार ने खूंखार गिरोह के गठजोङ से कर लिया. अपहृत संध्या भारती के पिता रविन्द्र के कथनानुसार थानाध्यक्ष के कहने पर 4 दिनों तक खोजने के बाद 12 अक्टूबर 22 को धमौल थाना में प्राथमिकी दर्ज किया गया.

अधीक्षक ने बताया कि मुदालय से लेनदेन के आधार पर मेल में रहने के चलते नरमी बरतने वाले धमौल थानाध्यक्ष और डीएसपी ,पकरीबरावा से लगातार सम्पर्क में रहा लेकिन, सिर्फ आश्वासन की घूंट पिलाते रह गये पर लेकिन कोई ठोस कारगर लाभ से के बजाय परिणाम ” ढाक के तीन पात ” वाली कहावत को हू-ब-हू चरितार्थ कर के सबों के सामने बेनकाब करके रख दिया. थानाध्यक्ष -थमौल और डीएसपी- पकरीबरावा की अपहरणकर्ताओं से मिली भगत का सबसे बङा जीता जागता प्रमाण है कि पोस्को एक्ट के अंतर्गत आखिर यह मुकदमा क्यों नहीं दर्ज हुआ ?

इसके भीतर छुपी आखिर कौन सी मंशा थी ? यह पुलिस की नरमी और मिलीभगत का इससे बङा बेहतरीन और बेजोङ उदाहरण नहीं तो क्या है ? पूर्व में भी आजाद कुमार और उसके चाचा मनोज चौधरी ने धमकी दिया था कि तुम्हारी बेटी का अपहरण कर उसकी हत्या कर देंगे. अंततोगत्वा हताशा-निराशा के बावजूद लङकी के पिता ने अपनी पुत्री की हत्या कर देने की प्रबल आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक, को पुत्री की बरामदगी हेतु आवेदन पत्र 26 नवम्बर 22 को समर्पित किया.

अब देखना यह है कि कब तक अपहृत नाबालिग बच्ची जो गुमशुदगी की शिकार है , उसकी बरामदगी और अपहरण में शामिल शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर दंडित किया जायेगा. उक्त घटना को ले जिला पुलिस-प्रशासन की सारी साख व विश्वसनीयता ही दाव पर लगा है.लेकिन,डंके की चोट पर यह खुलेआम घोषणा की गई कि जबतक पीङित परिवार को उचित न्याय नहीं मिलेगा , तबतक पीयूसीएल चैन की सांस नहीं लेगा.