-दयानंद प्रसाद जी का पूरा जीवन दूसरे शिक्षकों के लिए प्रेरक
Rabindra Nath Bhaiya: ‘इस तरह हमें छोड़कर नहीं जाइए सर।’, ‘आपके बिना हमें पढ़ने में मन नहीं लगेगा सर।’, ‘अब हमें विद्यालय में और छुट्टी के बाद भी पढ़ने-लिखने के लिए कौन कहेंगे सर।’ आदि आदि का रट लगाकर विद्यालय के बच्चे अपने प्रिय दयानंद सर का हाथ पकड़-पकड़ कर और बड़े रुँधे गले से फफक-फफक कर रो रहे थे। इस तरह का हृदयविदारक दृश्य था जिले के अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय नेमदारगंज के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद के विदाई समारोह का। बच्चे अपने प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद सर का हाथ छोड़ ही नहीं रहे थे और उन्हें विद्यालय से जाने दे ही नहीं रहे थे। काफी समझाते-बुझाते रहने के बाद बच्चों ने बड़े ही अश्रुपूरित नेत्रों से अपने प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद को विदाई दी। उस समय वातावरण बड़ा सुमधुर हो गया, जब किसी बच्चे ने उन्हें कलम भेंट की तो किसी बच्चे ने उनके हाथ को बड़े भावपूर्ण ढंग से चूम लिया। वहीं किसी बच्ची ने माइक लेकर ये बताया कि वह अपने दयानंद सर की तरह ही शिक्षक बनना चाहते हैं।
इस पर किसी ने देश का सच्चा सिपाही तो किसी ने ब्लैक कमांडो भी बनने की इच्छा जाहिर की। एक विद्यार्थी ने वैज्ञानिक बनने का भी अपने दयानंद सर से वादा किया। तब कहीं जाकर माहौल थोड़ा सहज हो सका। उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय नेमदारगंज के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद की विदाई की इस कारुणिक बेला में उच्च माध्यमिक विद्यालय महेशडीह के प्रधानाध्यापक रघुनन्दन किशोर ने सम्मान पत्र पढ़कर वातावरण को और भी कारुणिक बना दिया। उन्होंने अपने हृदय का उद्गार प्रस्तुत करते हुए दयानंद प्रसाद के व्यक्तित्व को बड़ा ही विनम्र एवं विद्वतापूर्ण बताया। वहीं सहायक शिक्षक कुश कुमार ने भी अपनी बातें रखी तथा विद्यालय की ओर से दयानंद प्रसाद को श्रीमद्भागवत गीता देकर एवं अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया। अन्य सभी शिक्षकों ने भी दयानंद प्रसाद को सुगंधित पुष्पों की माला पहनाकर उनका सम्मान किया।
जबकि शिक्षिका रेखा कुमारी ने विदाई गीत गाते हुए माहौल को और भी गमगीन कर दिया। इसके साथ ही कई सारे बच्चे बच्चियों ने संदेश बोर्ड पर अपने प्रिय प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद जी के लिए ‘मत जाइए सर’, ‘आई लव यू सर’, ‘आप के बताए रास्ते पर हमलोग चलेंगे सर’ आदि आदि दिल को छू लेने वाले संदेश लिखे। निस्संदेह, अकबरपुर प्रखण्ड के मध्य विद्यालय कुहिला में विज्ञान शिक्षक के रूप में अपनी पहली सेवा देने के बाद दयानंद प्रसाद प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में जब उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय नेमदारगंज में नियुक्त हुए तो उस समय किसी ने सोचा नहीं था कि सिर्फ छह वर्षों की छोटी-सी अवधि में ही वे अपने विद्यालय के बच्चों के अलावे आसपास की दलित बस्ती एवं दिव्यांग लोगों की शिक्षा के प्रति इतने समर्पित रहेंगे और इस तरह से अपने शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ सारे विद्यार्थियों एवं आसपास के लोगों के बीच इतने लोकप्रिय हो जाएँगे कि उनकी विदाई के समय सभी लोग फूट-फूट कर रोने लगेंगे और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर फिल्म भी बनने लगेंगी। कहा जा सकता है कि दयानंद प्रसाद का पूरा जीवन दूसरे शिक्षकों के लिए अत्यंत प्रेरक है।
शिक्षा के प्रति समर्पित शिक्षक दयानंद प्रसाद भी अपनी विदाई के समय बड़े भावुक हो गए और उनके कंठ अवरुद्ध हो गए। कुछ देर के बाद स्वयं को संयत करते हुए उन्होंने अपने विद्यार्थियों एवं लोगों से ये वादा किया कि वे विद्यालय से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी पूर्ववत् लोगों के बीच शिक्षा का अलख जगाते रहेंगे। वे अपने बच्चों की शिक्षा संबंधी समस्याओं का समाधान करते रहेंगे तथा निरक्षरों को साक्षर करते रहेंगे। प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद के विदाई समारोह का मंच संचालन किया शिक्षक एवं जिले के जाने माने साहित्यकार डॉ. गोपाल निर्दोष ने जबकि मौके पर उपस्थित रहे विद्यालय के शिक्षक कुश कुमार, उच्च माध्यमिक विद्यालय महेशडीह के प्रधानाध्यापक रघुनन्दन किशोर, शिक्षक अरुण कुमार वर्मा, गोपाल प्रसाद, विवेक कुमार, रात्रि प्रहरी सतीश कुमार, शिक्षा समिति सदस्य चाँदनी कुमारी, शिक्षिका रेखा कुमारी, फूल कुमारी सहित विद्यालय के समस्त विद्यार्थी।
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