Nawada, Rabindra Nath Bhaiya: जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में एक बार फिर जीएनएम व चिकित्सकों की लापरवाही से नवजात की जान चली गई। घटना से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मामला बुधवार की सुबह की है। अमावां गांव के लटन ठाकुर की 21 वर्षीय पुत्री को प्रसव पीड़ा के बाद बुधवार की सुबह अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया। उस समय ड्यूटी में रहे जीएनएम अमिता कुमारी व नूतन कुमारी द्वारा गर्भवती महिला की जांच की गई। जांच में सबकुछ सामान्य पाए जाने के बाद मरीज को कुछ देर इंतजार करने को कहा गया। इसके बाद 8 बजे जीएनएम की ड्यूटी बदल गई, अब 8 बजे से 2 बजे तक की ड्यूटी में जीएनएम अर्चना कुमारी व संजू शिला आई, जिसे गर्भवती महिला के परिजनों ने बताया कि मरीज को अत्यंत प्रसव पीड़ा हो रही है, अगर किसी प्रकार की दिक्कत है तो आप चिकित्सक से मरीज को दिखवाकर रेफर कर दीजिए।
इसपर जीएनएम द्वारा परिजनों को डांट-फटकार लगाकर वापस भेज दिया गया। दोपहर के दो बजे तो दोनों जीएनएम की ड्यूटी पूरी हुई साथ ही इनके ड्यूटी के बाद 2 बजे जीएनएम पुनिता कुमारी व ज्योति कुमारी ड्यूटी करने आई। दोपहर दोनों जीएनएम ने प्रसव पीड़ा से बेहाल गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए रूम में ले गई। कुछ देर बाद डिलीवरी रूम से निकलने पर जीएनएम ने ड्यूटी पर रहे चिकित्सक डॉ अर्जुन चौधरी को डिलीवरी रूम में बुलाई। डॉ अर्जुन चौधरी द्वारा जन्म लिए बच्चे के मृत होने की पुष्टि की, इसके बाद जीएनएम द्वारा परिजनों को बताया गया कि जच्चा ठीक है, लेकिन बच्चा मृत पाया गया। मौत की खबर सुनते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
परिजनों ने स्वास्थ्यकर्मियों पर लगाया लापरवाही का आरोप:-
सुबह 8 बजे से लेकर 2 बजे तक तीन चिकित्सकों डॉ राघवेन्द्र भारती, डॉ मुकेश कुमार तथा डॉ अर्जुन चौधरी की ड्यूटी अस्पताल में थी। मरीज की आंटी लक्ष्मी देवी ने बताया कि तीनों चिकित्सकों में किसी ने गर्भवती महिला की जांच नहीं किया ।परिजनों को बताया गया कि गर्भवती महिला की स्थिति ठीक है। प्रसव के पूर्व अल्ट्रासाउंड में भी बच्चे के स्वस्थ होने की बात बताई गई थी। उन्होंने कहा कि अगर प्रसव में किसी प्रकार की दिक्कत होती तो स्वास्थ्यकर्मियों को मरीज को रेफर कर देना चाहिए था, किन्तु उन्हें बच्चे के सफल प्रसव का आश्वासन दिया गया। जीएनएम व चिकित्सकों की एकमात्र लापरवाही से नवजात की जान चली गई। उन्होंने बताया कि उनकी भतीजी का यह पहला डिलीवरी था, बच्चे के मृत होने की खबर सुनकर पूरे परिवार में मायूसी छाई हुई हुई है।
चिकित्सक ने कहा मुझे कोई जानकारी नहीं:-
बुधवार की सुबह 8 बजे से रात्रि के 8 बजे तक ड्यूटी में रहने वाले चिकित्सक डॉ अर्जुन चौधरी ने बताया कि प्रसव सम्बंधित कार्य की देखरेख प्रसव कक्ष में ड्यूटी पर रहे जीएनएम द्वारा की जाती है। जीएनएम द्वारा जानकारी देने के बाद ही चिकित्सक प्रसव कक्ष में जाते हैं। चिकित्सक ने बताया कि बुधवार को डिलीवरी के बाद लगभग 2 बजे के बाद ड्यूटी में रहे जीएनएम द्वारा मुझे सूचना दी गई, जिसके बाद जांचोपरांत बच्चा मृत पाया गया। बताते चलें कि सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक अस्पताल में तीन-तीन चिकित्सकों के होने के बावजूद सफल प्रसव नहीं करा सके।
कहते हैं पदाधिकारी:-
इस बात रजौली एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल में जांच टीम को भेज कर मामले की जांचोपरांत उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सिविल सर्जन डॉ बीएन चौधरी ने बताया कि पीड़ित महिला के भाई सुजीत कुमार ठाकुर द्वारा लिखित आवेदन प्रभारी उपाधीक्षक को दी गई। उसमें जीएनएम व चिकित्सकों की लापरवाही से नवजात बच्चे की जान जाने की बातें बताई गई है। उन्होंने दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।