नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र के किसान-मजदूरों की खुशहाली का राज करीब तीन दशक से सरकारी उपेक्षा के कारण बंद वारिसलीगंज चीनी मिल की परिसम्पत्तियों की रखवाली करने वाले आधा दर्जन पहरेदारों की मजदूरी पिछले 10 वर्षों से मिल प्रबंधन के पास बकाया है। मिल के पहरेदार अपने घर के नमक सत्तू खाकर भीषण गर्मी, बरसात और ठंड की परवाह किये बैगर शिफ्ट में मिल की भीतरी व बाहरी कल पुर्जो एवं अन्य संपत्तियों की रखवाली करते रहे हैं,
उन्हें आशा थी कि आज नहीं तो कल मेरा मजदूरी जरूर मिलेगा, परंतु अब जब मिल के कल पुर्जों को स्क्रेपर बनाने के लिए ठेकेदार द्वारा कटनी शुरू किया गया तथा मिल के जर्जर काॅलोनियों में रह रहे कर्मचारियों को यह कहते हुए हटने की सूचना दी गई कि आप काॅलोनी छोड़ दो इसे जमींदोज करना है, तब पहरेदारों में आक्रोश पनपने लगा।
पहरेदारों ने मिल पहुंचे ठेकेदार प्रतिनिधि को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हमलोगों की 10 वर्षों से मजदूरी प्रबंधन के पास बाकी है, पहले मजदूरी का भुगतान करवाएं तब मिल के मशीनों की कटनी कीजियेगा, जिसपर ठेकेदार प्रतिनिधि ने वियाडा के अधिकारी से बात कर मजदूरी भुगतान करवाने का पहल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन मिल की मशीनों की तेजी से कटनी की जा रही है, और पहरेदारों की मजदूरी अब भी बाकी है।
जानकारी के अनुसार मिल बंद होने के बाद समयांतराल सभी कर्मी एवं पहरेदार मिल से सेवानिवृत हो गए, तब खुद दैनिक मजदूरी पर कार्य करने वाले लिपिक द्वारा क्षेत्र के कुछ गरीबों को दैनिक मजदूरी पर मिल की परिसंपत्तियों की रखवाली के लिए करीब आधा दर्जन पहरेदारों को काम पर रखा गया, जो शिफ्ट वाइज पहरेदारी का काम करने लगे, परंतु उन्हें आज तक मजदूरी नहीं मिली है।
मजदूरों का कहना है कि पहले हमलोगों की मजदूरी का भुगतान करो तब मिल को उखाड़ो। वर्तमान समय में दैनिक मजदूरी पर कार्यरत मजदूरों में रामचंद्र यादव, हरदेव तांती, इम्तेयाज अंसारी, मुकेश कुमार, जितेंद्र यादव तथा राम विलास सिंह का नाम शामिल है।