अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के मौंके पर डुमरांव में सेमिनार व संगोष्ठी के आयोजन की रही धूम

बक्सर बिहार

-महिला दिवस पर डुमरांव व बक्सर नगर में विश्व की मजबूरी है, महिला समानता जरूरी है का गूंजता रहा नारा
बक्सर/विक्रांत। विश्व महिला दिवस के मौंके पर डुमरांव व बक्सर नगर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में सेमिनार व संगोष्ठी के आयोजन की धूम रही। वहीं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसी क्रम में प्रथम कार्यक्रम जन शिक्षण संस्थान के सौजन्य से स्थानीय राजगढ़ स्थित मार्बल हाल में स्थाई कल के लिए लैंगिक समानता बिषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।

आयोजित सेमिनार मंच का उद्घाटन जनता दल यू के एमएलसी राधाचरण साह ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौंके पर एमएलसी साह ने अपने संबोधन के दरम्यान कहा कि समाज के लैंगिक समानता की सख्त जरूरत है। वर्तमान परिवेश में आज भी समाज में लैंगिक असमानता झलकती है। उन्होनें कहा कि महिलाओं को शिक्षा के साथ उन्हें कौशल विकास के माध्यम से सक्षम बनाया जा सकता है।

वहीं संबोधन के दरम्यान एमएलसी साह नें उन्होनें कार्यक्रम के आयोजन समिति के प्रति साधुवाद व्यक्त किया। सेमिनार को अन्य वक्ताओं में मुख्य रूप से संस्थान के संस्थापक चेयरमैंन निर्मल सिंह, कार्यक्रम अधिकारी अनु सिंह एवं शत्रुघ्न गुप्ता ने संबोधित किया। मंच का संचालन संजय कुमार ने किया। कार्यक्रम के निदेशक मधु सिंह ने आंगतुक अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि महिलाओं के उत्थान के लिए उन्हें स्वावलंबी बनाना होगा।

वहीं इस मौंके पर शैक्षणिक संस्थान से जुड़ी लड़कियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लोकनृत्य, लोकगीत, एकल नृत्य एवं गीत प्रस्तुत किया गया। दुसरी ओर स्थानीय सुमित्रा महिला कालेज के सभा कक्ष में एनएसस के बैनर तले विश्व महिला दिवस के मौंके पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन महिला पुलिस सब-इंसपेक्टर शीला सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

मौंके पुलिस सब इंसपेक्टर मति सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में व्याप्त लिंग भेद-भाव को समाप्त करना लाजिमी है। समाज एवं देश के विकास के लिए लड़कियों को शिक्षित बनाना जरूरी है। बगैर शिक्षा के बिना लैंगिक असमानता को समाप्त कर पाना काफी कठिन है। एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी श्रीकांत सिंह ने कहा कि हिंदू धर्मग्रंथों में नारी को पूज्यनीय बताया गया है।

लेकिन सैंद्धातिक एवं व्यवहारिक तौर पर समाज में काफी अंतर पाया जाता है। प्राचार्य डा.शोभा सिंह ने कहा कि पहले की तुलना में नारी का विकास जरूर हुआ है। पर इस विकास से संतुष्ट नहीं है। बल्कि लैंगिक असमानता साफ झलकता है। संगोष्ठी को अन्य वक्ताओं में डा.मनोज कुमार सिंह, प्रो.सुरेशचंद्र त्रिपाठी एवं प्रो.शैलेन्द्र कुमार राय आदि ने संबोधित किया। वहीं एनएसएस की स्वयंसेविकाओें के बीच भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में पूजा कुमारी,प्रिंसी राज,काजल मिश्रा, कल्पना, साक्षी, दुर्गा एवं रानी कुमारी आदि ने हिस्सा लिया।

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