पटना : एक गांव जहां होली के दूसरे दिन गांव की एक लड़की को बनाया जाता है मां सती देवी और हजारों लोग करते हैं पूजा

पटना बिहार

स्टेट डेस्क/पटना। कहा जाता है आस्था ही सच्ची पूजा होती है, अगर किसी चीज पर आस्था आ जाए तो वही सबसे बड़ा भगवान होता। वैसे तो आए दिन लड़कियों के साथ अत्याचार की कहानियां सुनने को मिलती है, लेकिन पटना का एक गांव जहां लड़की को देवी मान कर हजारों लोग पूजा करते हैं। राजधानी पटना से सटे पटना सदर प्रखंड क्षेत्र के पुनाडीह गांव में ऐसा ही वाक्या देखने को मिलता है।

जहाँ प्रत्येक वर्ष होली के दूसरे दिन पुनाडीह गांव ही नहीं आसपास के दर्जनों गांव के लोग सती देवी बनी गांव की लड़की की पूजा करने लोग पहुंचते हैं, फिर उसी लड़की को डोली में बिठाकर पूरे इलाके में जुलूस की शक्ल में घुमाया जाता है। हजारों लोग देवी बनी लड़की का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। पुरानी मान्यता के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया कि सैकड़ों साल पहले होली के दूसरे दिन एक नवविवाहिता लड़की के पति की मौत हो गई थी।

उसके बाद उस लड़की ने सीता पर जाकर सती हो गई। जिसके बाद पुनाडीह गांव सहित आस-पास के गांव में महामारी फैल गया। कई तरह की बीमारियों से लोग मरने लगे। जिसके बाद लोगों ने गांव के लोगों ने पूनाडीह गॉव में सती की मंदिर बनवाई और मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ शुरू किया। तब जाकर लोग ठीक होने लगे। जिसके बाद प्रत्येक वर्ष होली के दूसरे दिन रात्रि में सती मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है, गांव के किसी ब्राह्मण के एक लड़की को सती देवी बनाकर पूजा किया जाता है।

तांत्रिक पूरी मंत्र औषधि के साथ पूजा करते हैं। उसके बाद सुबह में जुलूस के रूप में सती बनी लड़की को डोली पर बिठा कर इलाके के दर्जनों गांव में घुमाया जाता है। लोग भक्ति भाव से भजन कीर्तन और होली गाते हुए निकलते हैं। जो कच्ची दरगाह होते हुए सबलपुर घाट पर जाकर जुलूस समाप्त होता है और वहां पूजा-पाठ की सामग्री विसर्जन किया जाता है।

साथ ही देवी बनी लड़की को गंगा नदी में स्नान कराया जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर किसी कारण बस यह पूजा नहीं होती है तो गांव में कई तरह की अप्रिय घटना हो जाते हैं। गांव के बुजुर्ग का कहना है यह सिलसिला कब से चलता रहा है यह मुझे मालूम नहीं है। गांव के बुजुर्ग एक दूसरे को बताते आ रहे हैं और यह पूजा लगातार चलता आरहा है।

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