बिहार में 85वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन संपन्न, संविधान के मूल्यों को सुदृढ़ करने पर जोर

पटना

पटना, अशोक “अश्क” बिहार विधानमंडल में आयोजित पीठासीन अधिकारियों का 85वां सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। यह सम्मेलन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। 1921 से लेकर आज तक विभिन्न राज्यों में इन सम्मेलनों के माध्यम से विधायिका की स्वायत्तता, अनुशासन और सदन के कार्यों में सुधार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होता रहा है।

इस वर्ष का सम्मेलन विशेष रूप से संविधान की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित था, जिसका मुख्य एजेंडा संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मेलन के दौरान कहा कि पीठासीन अधिकारियों को अपने राज्यों में संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने विधायकों में शिष्टाचार और अनुशासन बढ़ाने पर जोर दिया।

बिरला ने कहा कि 2025 तक देश के सभी विधानमंडलों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली जाएगी। इससे न केवल कार्यों में पारदर्शिता आएगी बल्कि जनता की भागीदारी और अधिक सशक्त होगी। दो दिवसीय इस सम्मेलन में 23 विधानमंडलों के 41 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन में भारतीय संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को याद किया गया।

यह सम्मेलन इस बात पर केंद्रित था कि कैसे विधायी संस्थाओं के माध्यम से संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है। पीठासीन अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि उनके नेतृत्व में विधानसभाओं का कार्य संचालन संविधान में निहित मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप होगा। उन्होंने विधायी कार्यों में बाधारहित और व्यवस्थित चर्चा सुनिश्चित करने का भी निर्णय लिया, ताकि जनहित में श्रेष्ठ नीतिगत संवाद स्थापित किया जा सके।

सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि संवैधानिक मूल्यों को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचाने के लिए एक योजनाबद्ध अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान पंचायती राज संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं, शहरी निकायों, शिक्षण संस्थानों और समाज के अन्य वर्गों को शामिल करेगा। इसका उद्देश्य संवैधानिक जड़ों को मजबूत बनाना और लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी और सहभागी बनाना है। सम्मेलन में डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने पर जोर दिया गया।

यह तकनीक न केवल विधायी संस्थाओं को अधिक प्रभावी बनाएगी बल्कि लोगों को विधायिका के कार्यों से जोड़ने में भी मददगार साबित होगी। 2025 तक सभी राज्यों के सदनों को एक साझा डिजिटल मंच पर लाने की योजना इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे देशभर के लोग विधायी कार्यों को आसानी से देख और समझ सकेंगे। भारतीय विधायी संस्थाओं ने संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह संकल्प लिया कि संविधान में निहित आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

इसके तहत संविधान के मूल्यों को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। सम्मेलन में इस बात पर भी चर्चा हुई कि जनता की भागीदारी बढ़ाने और शासकीय व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इसमें संसदीय समितियों की जवाबदेही बढ़ाने, रिसर्च को बेहतर करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने की बात कही गई।

85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन ने भारतीय लोकतंत्र की नींव को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय लोकतंत्र निरंतर विकासशील और प्रगतिशील है। सम्मेलन में लिए गए निर्णय न केवल वर्तमान विधायी संस्थाओं के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।