स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मोदी सरकार के 9 साल जहां एक ओर चरम कॉरपोरेट लूट, समाज में अमन-चैन को भंग कर सांप्रदायिक उन्माद व नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने वाला रहा है, वहीं दूसरी ओर आम जनता के लिए बर्बादी और तबाही के साल साबित हुए हैं. मोदी सरकार ने प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार का वादा था लेकिन आज देश चरम बेरोजगारी और कमरतोड़ महंगाई के दौर से गुजर रहा है. संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग लगातार जारी है.
किसानों की आय दुगुनी करने का वादा था लेकिन उनके साथ लगातार विश्वासघात ही हो रहा है. एमएसपी पर कानून बनाने से सरकार भाग खड़ी हुई है. दलित-गरीबों की आवास एवं खाद्यान्न योजना को बंद करने की लगातार साजिशें चल रही हैं. लोकतंत्र व संविधान खतरे में है. नोटबंदी की मार हो या फिर कोविड काल की भयावह पीड़ा, देश की जनता आजादी के 75 सालों में सबसे गंभीर दौर से गुजर रही है.
आगे कहा कि मोदी सरकार के नौ वर्षों में अगर कोई एक दिन ऐसा रहा है, जिसने मोदी शासन के वास्तविक चरित्र और उसके भविष्य की योजना को स्पष्ट रूप से हमें समझाया है, तो वह 28 मई, 2023 था. 28 मई को नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं को नकारते हुए एक राजा के राज्याभिषेक की तरह उद्घाटन कर रहे थे, ठीक उसी समय बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न का विरोध कर रही महिला पहलवानों को दिल्ली के संसद मार्ग से पुलिस ने बहुत बेदर्दी से घसीटते हुए उन सभी लोगों को गिरफ्तार किया.
28 मई को मोदी सरकार संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य के मौलिक सिद्धांतों की पूरी तरह से विरोधी होने के रूप में सामने आ गई है. ऐसी सरकार को आने वाले चुनावों में सत्ता से बाहर कर देना ही देश की जनता और सभी लोकतंत्र व अमन पसंद नागरिकों का अब पहला कार्यभार बन जाना चाहिए.