यूपीसीए सचिव पद पाने के लिए पूर्व सचिव की सारी कोशिशें रही नाकाम

पटना

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में एक बार फिर से सचिव बनने के लिए पूर्व सचिव की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं। संघ की एजीएम से पूर्व करायी गयी चुनावी प्रक्रिया में उनकी ओर से किए गए सारे प्रयास विफल साबित रहे और वह किसी भी कमेटी में स्थान नही पा सके। जबकि उनके स्थान पर कोषाध्यक्ष का पद संभाल रहे सदस्य को सचिव पद के लिए नामित कर दिया गया है।

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उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की वार्षिक आम सभा से लगभग 15 दिन पूर्व ही पूरी कार्यकारिणी भी नामित कर दी गयी। मुख्य चुनाव अधिकारी एके जोति की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए इस चुनावी कार्यक्रम में पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह ने सचिव पद को एक बार फिर से अपने पास रखने के लिए सदस्यों के सामने प्रस्ताव रखा।

उनके इस प्रस्ताव का कई पूर्व और वर्तमान सदस्यों ने कडा एतराज जताया । उनकी मंशा के अनुरूप संघ में कोई भी सदस्य उनके पक्ष में खडा नही हो सका और सभी ने अरविन्द् श्रीवास्तव को यूपीसीए का अगला सचिव लगभग र्निविरोध ही चुन लिया गया । पूर्व सचिव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले सदस्यों ने भी उनका साथ सचिव पद पाने के लिए नही दिया।

संघ के भीतर खाने में चर्चा रही कि पूर्व सचिव के खिलाफ राज्यपाल के यहां से चल रही जांच के चलते उन्हें सभी कमेटियों से दूर रखा गया है। वहीं एक और सदस्यो को सचिव पद पाने की चाहत को अल्प विराम लग गया जब उन्हे संयुक्त सचिव के पद के लिए नामित पर्चा भरने से ही संतोष करना पडा। गौरतलब है कि यूपीसीए की वार्षिक आम सभा 27 दिसम्बर को तय है जिसमें संघ के लिए चुने गए पदाधिकारियों के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।

यूपीसीए के एक पदाधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक संघ में अध्यक्ष पद पर एक बार से सिंहानिया परिवार का सदस्य ही रहेगा जबकि संयुक्त सचिव को उपाध्यक्ष पद पर पहुंचाने का काम संघ के आला अधिकारी की ओर से पहले ही किया जा चुका है। एपेक्स कमेटी के लिए सहारनपुर से नेतृत्वं करने वाले सदस्य को प्राथमिकता दी गयी है और वह उस कमेटी के अध्यक्ष भी रहेंगे।

यूपीसीए के लिए नामित किए गए सदस्यों में से इस बार पश्चिमी हिस्से से भागेदारी को पूरी तरह से नजर अंदाज करते हुए पूर्व और मध्य अंचलों के हिस्सों को तरजीह दी गयी है। ऐसा माना जा रहा है कि यूपीसीए के अध्य क्ष निधिपति सिंहानियां के हस्तक्षेप के चलते इन निर्णयों पर मुहर लगायी गयी है। यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह को लगभग हर कमेटी से बाहर ही रखना मुनासिब समझा गया है।