जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट पैनल की होगी जीत, अध्यक्ष पद पर आइसा से गया एक दलित युवा धनंजय हैं उम्मीदवार
जेएनयू से निकले छात्र नेताओं ने देश व बिहार की राजनीति में किया है सकारात्मक हस्तक्षेप
स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले के पालीगंज से विधायक और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व महासचिव संदीप सौरभ ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा बिहार व यूपी विरोधी ताकतों से हाथ मिला रही है. महाराष्ट्र में मनसे का घोषित एजेंडा बिहार-यूपी के छात्र-युवाओं व मजदूरों के प्रति घृणा की राजनीति को बढ़ावा देना है. क्षेत्रवादी-सांप्रदायिक मनसे से गठजोड़ करके भाजपा बिहार का अपमान कर रही है. मनसे ने बिहार के युवाओं पर लगातार हमले किए हैं. उनके नेता महाराष्ट्र को बिहारियों से मुक्त करने की बात करते रहते हैं. 2008 में कई युवकों की हत्या कर दी गई जिसके खिलाफ आइसा ने पूरे देश में आंदोलन चलाया था. ऐसी बिहार विराधी ताकतों से हाथ मिलाने में भाजपा को कोई आपत्ति नहीं है. बिहार इसका मुकम्मल जवाब देगा.
आगे कहा कि देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू को बंद कराने की भाजपा की लगातार साजिशों को धता बताते हुए इस बार भी वहां छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट पैनल की जीत होगी. लेफ्ट पैनल में आइसा ने अध्यक्ष पद पर बिहार के ही गया जिले के एक दलित समुदाय से आने वाले छात्र धनंजय कुमार को चुनाव को मैदान में उतारा है. 19 मार्च को एबीवीपी की तमाम साजिशों को नकारते हुए वहां ऐतिहासिक मशाल जुलूस निकला.
जेएनयू से निकले छात्र नेताओं ने बिहार और पूरे देश की राजनीति में सकारात्मक हस्तक्षेप किया है. का. चंद्रशेखर ने बिहार की धरती पर संघर्ष करते हुए शहादत दी. का. मोना दास, का. शकील अहमद, का. कन्हैया कुमार जैसे नेता उसी विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति की उपज हैं. चिंटू कुमारी, शेफालिका, पीयूष राज, का. आशुतोष जैसे कई छात्र नेता आज बिहार के शैक्षणिक संस्थानों में काम कर रहे हैं और वहां के शैक्षणिक माहौल को बदलने में लगे हुए हैं. बिहार से जेएनयू का गहरा नाता रहा है. उस जेएनयू को भी भाजपा खत्म करने की चाहत रखती है.
जेएनयू के ऊपर हमला किसी एक शिक्षण संस्थान पर नहीं बल्कि क्वालिटी एजुकेशन और गरीब छात्रों पर हमला है. भाजपा चाहती है कि जेएनयू बंद हो जाए. इसलिए उसने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जेएनयू को जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी के रूप में दुष्प्राचरित करने के लिए एक फिल्म बनवाई है.
2016 में एक फर्जी वीडियो के जरिए जेएनयू को बदनाम करने की कोशिश की गई थी. कुलपति से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति में पूरा मनमानापन है. 6500 करोड़ रु. फंडिंग रोककर वहां लोन दिलवाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जेएनयू हो या बिहार, दोनों जगह भाजपा को करारी शिकस्त मिलेगी.संवाददाता सम्मेलन को आइसा की बिहार राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी ने भी संबोधित किया.