…..और जब बिहार पुलिस के डीजी ने गाया-जो मैं होती राजा काली रे नगिनियां…

पटना

पटना/शिवानंद गिरि: कला और संगीत से व्यक्ति न सिर्फ तनाव को दूर कर सकता है बल्कि अपने व्यवहार में भी बदलाव ला सकता है।कुछ इसी तरह की बात उस वक्त देखने को मिली जब बिहार के पुलिस अधिकारियों ने अपने गीत संगीत से लोगों को झूमा दिया। कार्यक्रम में बिहार के डीजी ने एक ऐसा गीत गया कि वह मौजूद लोग झूमने लगे।

दरअसल, बिहार पुलिस सप्‍ताह के समापन समारोह में उस समय लोग झूम उठे जब डीजी साहेब ने ” जो मैं होती राजा काली रे नगिनियां” गाने लगे.पटना के मिथिलेश स्‍टेड‍ियम में गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन था. बिहार पुलिस सप्‍ताह के समापन के अवसर पटना के मिथिलेश स्‍टेडियम में गीत-संगीत और डांस का ऐसा संगम दिखा कि श्रोता झूमने पर मजबूर हो गए.कोई पारंगत कलाकार नहीं बल्कि राज्‍य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने महफ़िल को जमाया.पुलिस अधिकारियों ने ऐसा माहौल बनाया कि लोग झूम उठे.

सीनियर आइपीएस अधिकारियों के व्‍यक्तित्‍व का वह पक्ष सामने आया जो अक्‍सर लोगों की नजरों नहीं आ पाता. शीर्ष अधिकारियों ने कार्यक्रम के दौरान मंच पर अपने गीत-संगीत और नृत्‍य से धमाल मचा दिया. इसका वीडियो सामने आया है जिसमे दिख रहा है कि हमेशा अपराध नियंत्रण में माथापच्‍ची करने वाले इन अफसर गीत-संगीत और डांस में भी किसी से कम नहीं हैं.वो केवल लाठी बंदूक चलाना ही नहीं जानते बल्कि आम लोगों की तरह वो भी नाचना गाना और मस्ती करना जानते हैं.

डीजी एके आंबेडकर (DG AK Ambedkar) ने अपने गाने से सभी अधिकारियों को झुमा दिया. जो मैं होती होती राजा काली रे नग‍िनियां.. से माहौल में मस्‍ती घोल दी. डीजी रविंद्र शंकरण, विनय कुमार, एडीजी जितेंद्र कुमार आदि भी मंच पर डांस करने पहुंच गए. कुछ देर में ट्रैफिक आइजी एमआर नायक भी मंच पर पहुंच गये. डीजी एके आंबेडकर ने फिर पनिया के जहाज पर पलटनियां बनी अइह पिया गाने से भी लोगों को झुमा दिया.

सामने आए वीडियो में इन अफसरों की मस्‍ती और ऊर्जा देखकर लगता ही नहीं कि इनके सिर पर कानून व्यवस्था को बनाए रखने का कितना बड़ा बोझ है.

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