सेंट्रल डेस्क: जाने माने कथाकार, उपन्यासकार, नाट्य लेखक और आलोचक हृषिकेश सुलभ को ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान ‘ से नवाज़ा गया है। यह सम्मान उन्हें उनके चर्चित उपन्यास ‘दाता पीर’ पर प्रदान किया गया है। बेंगलुरूकी प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द ‘ के अध्यक्ष नारायण समीर ने यह जानकारी साझा की है।
समीर ने बताया कि ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ से हृषीकेश सुलभ को और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ से शांता बाई को सम्मानित करने का निर्णय किया गया है। इन दोनों विजेताओं को आगामी 10 दिसंबर को बेंगलूरु में आयोजित एक सारस्वत समारोह में पुरस्कार राशि के साथ पारंपरिक मैसूर पेटा , स्मृति चिह्न और अंगवस्त्रम् भेंट कर सम्मानित किया जाएगा।
देश की सॉफ्टवेर राजधानी बेंगलूरु के हिंदी रचनाकारों की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ ने वर्ष 2023 के लिए ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ तथा दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ के विजेताओं की आज घोषणा की । एक लाख रुपए का ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ हिंदी के मूर्धन्य कथाकार हृषीकेश सुलभ को उनके उपन्यास ‘दाता पीर’ के लिए प्रदान किया जाएगा तथा इक्कीस हजार रुपए का ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ कर्मठ हिंदी सेवी एवं कर्णाटक महिला हिंदी सेवा समिति की प्रमुख वयोवृद्ध सुश्री शांता बाई को दक्षिण भारत में हिंदी भाषा एवं साहित्य के संवर्द्धन में उल्लेखनीय अवदान के लिए दिया जाएगा।
‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण समीर के अनुसार इन पुरस्कारों का निर्णय हिंदी भाषा और साहित्य के सर्जक विद्वानों की पांच सदस्यीय मूल्यांकन समिति की संस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से किया। निर्णय में पुरस्कार विजेताओं की कृतियों के पारदर्शी मूल्यांकन के साथ-साथ उनके अब तक के सर्जनात्मक अवदान को भी आधार बनाया गया । निर्णायक मंडल ने ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ के लिए अपनी संस्तुति में कहा है कि “हृषीकेश सुलभ समकालीन हिंदी कथा साहित्य में सामाजिक यथार्थ एवं विडंबना के मर्मस्पर्शी चितेरे हैं ।
उनका ‘दाता पीर’ भाषा में देशज ठाठ रचते हुए मुस्लिम जीवन के राग-विराग और अनछूए पहलुओं के रूपायन के द्वारा हिंदी साहित्य के कथा-परिसर को समृद्ध करता उपन्यास है । ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ के लिए कर्णाटक महिला हिंदी सेवा समिति की यशस्वी प्रमुख वयोवृद्ध सुश्री शांता बाई के नाम की संस्तुति में निर्णायक मंडल ने कहा है कि “सुश्री शांता बाई ने अपनी दीर्घ चर्या और शिक्षण से कर्णाटक के युवा-युवतियों के मन और मस्तिष्क में हिंदी भाषा के प्रति अनुराग की जो लौ जलायी, उसकी रोशनी पूरे दक्षिण भारत में फैली है । उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार से कन्नड़-हिंदी-मैत्री के विकास और संवर्द्धन के जरिए राष्ट्र की भाव धारा को सशक्त करने का अन्यतम कार्य किया है ।”
डॉ समीर ने बताया कि ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ बेंगलूरु के प्रसिद्ध समाजसेवी और अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता के फाउंडेशन के सौजन्य से दिया जाता है । इसी तरह ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ बेंगलूरु और चेन्नई से प्रकाशित प्रमुख हिंदी समाचार पत्र समूह ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ के सौजन्य से प्रदान किया जाता है। उक्त पुरस्कारों के लिए कुल 53 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं । इनका मूल्यांकन प्रख्यात संपादक ओम थानवी की सदारत में लेखक डॉ भंवर सिंह शक्तावत, अनुवाद मर्मज्ञ ईश्वर चंद्र मिश्र एवं लेखिका रमिता सिंह की मूल्यांकन समिति ने किया ।
मूल्यांकन समिति की सिफारिश पर समग्रता में विचार करते हुए पांच सदस्यीय निर्णायक मंडल ने पुरस्कार विजेताओं के नाम पर सर्व सम्मति से निर्णय लिया । निर्णायक मंडल में बाबूलाल गुप्ता, श्रीकांत पाराशर, नलिनी पोपट, डॉ उषारानी राव और डॉ श्रीनारायण समीर शामिल हैं । डॉ समीर मूल्यांकन समिति और निर्णायक मंडल दोनों के संयोजक हैं ।