बीएयू का प्रसार मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर लागु करने योग्य : डॉ यूएस गौतम

पटना

विक्रांत। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में चल रहे बिहार और झारखण्ड के कृषि विज्ञान केन्द्रों का तीन दिवसीय कार्यशाला आज सफलता पूर्वक संपन्न हो गया | आज के समापन समारोह की अध्यक्षता पी पी वी एफ आर ए (पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण) नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने की एवं मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुशंधन परिषद् नई दिल्ली के डी० डी० जी० एक्सटेंसन (उप महाप्रबंधक,प्रसार) रहे |

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उन्होंने बीएयू के प्रसार मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि बीएयू के सभी प्रसार मॉडल बेहतर कार्य कर रहे है, इनमें से कई मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागु किया जा सकता है | उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र को सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में विकसित करने एवं और भी सशक्त करने की बात कही।

पी पी वी एफ आर ए (पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण) नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने किसानों के अपनी फसलों की स्थानीय किस्मों, तकनीकों एवं प्रथाओं को प्राधिकरण में पंजीकृत करने का आग्रह किया, उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों को इस दिशा में किसानों में जागरूकता लाने एवं पंजीकरण करने में सहयता करने की अपील भी की |

डॉ महापात्रा ने देश में किसानों की आय दुगनी करने एवं राष्ट्रव्यापी कृषि योजना को सफलता पूर्वक संचालन में कृषि विज्ञान केन्द्रों के योगदानों को प्रमुखता से रेखांकित किया और कहा कि प्रशासनिक कमियों को निराकरण करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र को और भी सशक्त बनाने की जरुरत है |

पी पी वी एफ आर ए के रजिस्ट्रार जनरल डॉ दिनेश कुमार अग्रवाल ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 के अंतर्गत कृषकों के अधिकारों एवं कृषक किस्मों के पंजीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला | उन्हें किसानों से कहा कि आपकी किस्म या तकनीक का दुनिया के किसी भी कोने में व्यावसायिक दोहन होता है तो इसका हिसा आपको भी मिलता है |

इस अवसर पर आज कई किसान अपने फसलों के किस्मों के साथ पंजीकरण के लिए भी पहुंचे जिनका व्योरा के साथ फसलों के सैंपल को लिया गया | विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा प्रदर्शनी भी लगाये गये जिसका अतिथियों और किसानों ने भ्रमण किया | इस अवसर पर डॉ. पी. के. चक्रवर्ती सेवा निवृत ADG ICAR ने इस कार्यशाला के सार्थकता पर प्रकाश डाला साथ ही विश्वविद्यालय के प्रसार गतिविधियों की सराहना की।

इस मौके पर डॉ साईदास पूर्व निदेशक भारतीय मक्का शोध संस्थान भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर पुस्तकों का विमोचन भी किया गया साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाले केवीके और कर्मियों को सम्मानित भी किया गया |
इससे पहले विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर के सोहाने ने विश्वविद्यालय की प्रसार गतिविधियों पर आधारित एक प्रस्तुतिकरण दिया और सभा को विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किसानों तक चल रहे परियोजनाओं, प्रशिक्षण और प्रत्यक्षण से अवगत कराया | सभा को विगत तीन दिनों तक चले तकनीकी सत्र के अनुशंषा अवगत कराया गया।

कार्यक्रम के अंत में सह निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आर० एन० सिंह ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया | इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक शोध, डॉ० ए० के० सिंह, निदेशक प्रशासन और कुलसचिव डॉ० एम० हक़० और अन्य अधिकारी मौजूद रहे |