Patna, Beforeprint : पिछले 14 साल से सरकारी वकीलों की फीस में वृद्धि नहीं बढ़ पाने का मामला पटना हाईकोर्ट में चल रहा है। मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तत्काल सरकारी वकीलों का फीस बढ़ाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार दो सप्ताह में इसकी रिपोर्ट पेश करें। बिहार में तकरीबन 14 साल से सरकारी वकीलों की फीस में कोई भी इजाफा नहीं हुआ है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव को अब नोटिस भी जारी कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थसारथी की खंडपीठ ने एस. एस. सुंदरम की जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि दो हफ्ते के अंदर इस जनहित मामले में उठाए गए तमाम बिंदुओं पर न्यायालय को रिपोर्ट सौंपें। याचिककर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता और सीनियर एडवोकेट पी. के. शाही और एडवोकेट विकास कुमार ने कहा कि पटना हाईकोर्ट में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहां रोजाना फीस न्यूनतम नौ हजार रुपये है। वहीं, बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाईकोर्ट में रोजाना अधिकतम फीस रुपये 2750 से 3750 तक ही है।
एडवोकेट शाही ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल में भी वहां के सरकारी वकीलों की फीस बिहार के सरकारी वकीलों से कहीं ज्यादा है। पीठ ने ने सरकारी वकीलों को भी कहा कि हाई कोर्ट के आज के आदेश को जल्द से जल्द मुख्य सचिव तक प्रेषित करें। आपको बता दें, बिहार में राज्य सरकार के वकीलों की फीस में 14 साल पहले ही बिहार के महाधिवक्ता पी. के. शाही के कार्यकाल में वृद्धि हुई थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 दिसंबर को होनी है।