कृषि अर्थशास्त्र व सामाजिक विज्ञान संघ, नई दिल्ली एवं बीएयू के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय सेमिनार का आगाज
Patna, Vikrant: बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर ) के मुख्य सभागार में शुक्रवार की पूर्वाहन कृषि उद्यमियों और कृषि स्टार्टअप के माध्यम से विकास लाभ प्रदाता और स्थिरता के लिए कृषि व्यवसाय कौशल को परिवर्तित करने की विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि भूतपूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रशासनिक तकनीकी भू संपदा अपीलीय न्यायाधिकरण पटना के सदस्य सुनिल कुमार सिंह, विशिष्ट अतिथि सीसीएस एनआईएएम के निदेशक डॉ रमेश मित्तल एवं बीएयू के कुलपति डॉ अरुण कुमार सहित मंचासीन अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया.मौके पर मुख्य अतिथि सुनील कुमार सिंह ने कहा कि स्टार्टअप के माध्यम से कृषि उधमिता विकास में युवा आगे आ रहे हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भी इस दिशा में बेहतर प्रयास कर रहा है।
बिहार का प्रमुख उत्पाद शाही लीची, जर्दालू आम, कतरनी धान, मिथिला मखाना और मगही पान को जीआई टैग मिला है। इस उत्पाद की वैश्विक पहचान है। देश में मखाना का 90 फीसद उत्पादन बिहार में ही हो रहा है। आवश्यकता सिर्फ इन सब उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर स्टार्टअप को बढ़ावा देने की है। इससे राज्य की 10 करोड़ किसानों का भाग्योदय हो जाएगा। विशिष्ट अतिथि सीसीएस एनआईएएम के निदेशक डॉ रमेश मित्तल ने कहा कि खेती को व्यवसाय के रूप में तब्दील करने का प्रयास स्टार्टअप के माध्यम से चल रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के माध्यम से देश भर में 29 केंद्र स्थापित कर युवाओं को स्टार्टअप के माध्यम से कृषि उद्यमिता के क्षेत्र में आगे आने को जागरूक किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
कृषि व्यवसाय में बदलाव हो रहा है। सबौर सबएग्रीस अच्छा काम कर रहा है। हमारा मकसद कम जोत और भूमिहीन किसानों की आमदनी बढ़ाना भी है। कोरोना के बाद पूरी दुनिया को गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पाद की जरूरत महसूस हुई है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे बीएयू के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी राज्य में स्टार्टअप के साथ कृषि उद्यमिता विकास को नया आयाम देगा। इससे राज्य में कृषि और किसानों का भला होगा। कृषि से युवाओं को जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय स्तर से जल्द सरकार को एक जिला एक फसल का डीपीआर समर्पित किया जाएगा। जिसे 5वीं कृषि रोड मैप में जोड़ा जाएगा। इसके बाद युवाओं को स्टार्टअप से जोड़ने के लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। उत्पाद का भंडारण, पैकेजिंग, एवं ब्रांडिंग के लिए प्रशिक्षित दिए जाएंगे। उसे एफपीओ से भी जोड़ा जाएगा।
इसके पूर्व सबएग्रीस से जुड़े युवाओं में शामिल बृजेश चौधरी, साइन परवेज, पीयूष और रंजीत ने अपने-अपने स्टार्टअप की विस्तार से जानकारी दी।संगोष्ठी में आगत अतिथियों का स्वागत निदेशक शोध डॉ पी के सिंह द्वारा किया गया.उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से कृषि उद्यमिता को नई गति मिलेगी। इस वर्ष बीएयू के कुलपति डा अरुण कुमार के मार्गदर्शन में यह चौथा राष्ट्रीय सेमिनार सफलतापूर्वक आयोजित हो रहा है। सबएग्रीस द्वारा 26 युवाओं को उनके स्टार्टअप में वित्तीय सहायता प्रदान किया गया है। इस विश्वविद्यालय में कृषि विकास की दिशा में अब तक 73 तकनीकी और विभिन्न फसलों को मिलाकर 29 प्रभेद विकसित किया है। बरहाल यहां 405 शोध परियोजनाएं संचालित हो रही है।