Bihar Nikay Chunav : चुनाव की घोषणा भी हो गई पर इलेक्शन पर सुप्रीम तलवार

पटना

Patna: बिहार में राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की घोषणा तो कर दी गई। मगर अभी चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीम तलवार ज्यों की त्यों लटक रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अतिपिछड़ों की राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान तय करने के लिए अतिपिछड़ा आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर जो बड़ा फैसला दिया है और जो सख्त टिप्पणी की है। उससे राज्य सरकार भी सकते में है। कोर्ट ने उससे भी जवाब जो तलब कर लिया है।

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इसके पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की घोषणा करते हुए बताया कि दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं शीर्ष अदालत ने अति पिछड़ा आयोग के गठन को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट के आदेश आदेश पर अति पिछड़ा वर्ग आयोग (सुप्रीम कोर्ट के आदेश में आर्थिक पिछड़ि वर्ग आयोग) को डेडिकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित किये जाने के पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार से चार सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया है।
क्या कहती है अति पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट

राज्य सरकार ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमिशन के रूप में अधिसूचित किया था। आयोग ने करीब 51 हजार सैंपल लेकर अति पिछड़ों की राजनीतिक, समाजिक व आर्थिक स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश जेके महेश्वरी की खंडपीठ ने सुनील कुमार की विशेष अनुमति याचिका पर पर अब आदेश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए चार हफ्ते बाद राज्य सरकार को भी पक्ष रखने के लिए कहा है।

याचिकाकर्ता की वकील मीनाक्षी अरोड़ा का कहना है कि बिहार सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन ही नहीं किया। अति पिछड़ा वर्ग आयोग से यह रिपोर्ट तैयार करवाना ही गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि बिहार में बनाये गये अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता। शीर्ष अदालत ने इकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लास कमीशन (आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग ) को डेडिकेटेड कमीशन के रूप में मान्यता नहीं देने की बात कही है।