DESK : पटना और बिहार के अन्य क्षेत्रों में बूचड़खाने को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सरकार को तलब किया है. कोर्ट ने पटना नगर निगम को आधुनिक बूचड़खाने के निर्माण और विकास के लिए किए गए कार्यों का पूरा ब्योरा देने को कहा है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वकील संजीव कुमार मिश्रा की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. पटना हाईकोर्ट में वकील संजीव कुमार मिश्रा द्वारा कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
यह याचिका खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने के संबंध में दायर की गई थी. वकील संजीव मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मांस-मछली को नियमों के विरुद्ध काटा और बेचा जाता है. खुले आम जानवरों को काटना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है.
वकील संजीव मिश्रा ने कोर्ट से आग्रह किया था कि नियमों का उल्लंघन कर खुले आम चल रहे बूचड़खानों को बंद किया जाना चाहिए क्योंकि लोगों पर इसका बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि पटना के कई ऐसे इलाके हैं जहां खुले आम अवैध तरीके से मांस-मछली की बिक्री होती है. यह बूचड़खाने बिना किसी उचित प्रमाण पत्र के जानवरों को मार कर उनका मांस बेचते हैं.
अधिवक्ता संजीव मिश्रा ने कोर्ट से मांग की है कि बेहतर और स्वस्थ मांस-मछली बेचने के लिए सरकार द्वारा आधुनिक बूचड़खानों का निर्माण होना चाहिए. आधुनिक सुविधाओं से लैस बूचड़खाने बनने से मांस बेचने वालों को सुविधा मिले और साथ ही लोगों को भी शुद्ध और स्वस्थ मांस उपलब्ध हो सके.
जनहित याचिका को ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए अहम’ बताते हुए, खंडपीठ ने सरकार और नगर निगम से पर्यावरण और नगरपालिका कानूनों के तहत बूचड़खानों को बेहतर करने के लिए किए गए कार्यों का रिपोर्ट मांगा है. अब इस मामले की सुनवाई 19 दिसंबर को होगी.