DESK : राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोबारा बने हैं, उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। लेकिन लल्लन सिंह की यह दूसरी पारी बेहद ही निराशाजनक और नकारात्मक रूप में शुरू हुई है। शपथ ग्रहण से पहले ही लल्लन सिंह कुढ़नी का चुनाव उपचुनाव हार गए। कुढ़नी के चुनाव हारने से उनका स्वागत हुआ है। भले आज उनका विधिवत स्वागत किया गया हो लेकिन, मंच पर गुलदस्ता लेते हुए उनकी मुस्कुराहट बनावटी लग रही थी। ललन सिंह आपको जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर और कुढ़नी हारने पर हार्दिक बधाई।
यही नहीं, बहुत ही गाजे-बाजे के साथ और अपनी राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए जदयू ने दिल्ली के एमसीडी का भी चुनाव लड़ा। वहां 23 सीटों पर चुनाव लड़े और ज्यादातर जेडीयू के कैंडिडेट को 500 से अंदर वोट मिले। यह कीर्तिमान जदयू ही बना सकता है। ऐसे कृतिमान को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। जो दल दिल्ली के एमसीडी चुनाव में एक सीट जीत नहीं सकता, वह विपक्षी एकता को मजबूत करके पीएम पद का उम्मीदवार बनने की लालसा करता करता हो। चलिए, दिन में स्वप्न देखना कोई बड़ी बात नहीं है।
गुजरात मे भी जदयू ने अपनी जोर आजमाइश लगाइ थी। गुजरात मे महज 0.00 फीसदी वोट पड़े है। और तो और जदयू के एक कैंडिडेट को भारतीय इतिहास में सबसे कम वोट पाने का रिकॉर्ड बना है। महज 30 वोट मिले है। अब ऐसी स्थिति में जदयू के नेता देश मे भाजपा के खिलाफ देश स्तर पर मुहिम चला रहे है। उन्हें चाहिए पहले अपने आप को मजबूत कर लें। बिहार में तीन नम्बर की पार्टी बनकर अपनी पलटू रणनीति से सत्ता में बने हुए है। लेकिन सच्चाई ये है जनता ने उन्हें तीसरे नम्बर पर रखा है।